तुर्की भूकंप से तबाह हो गए ऐतिहासिक विरासत के निशान, साथ ही खुल गए इतिहास की स्मृतियों के नए द्वार
तुर्की में आए विनाशकारी भूकंप में करीब 2000 साल पुराने गजिआंटेप महल को खंडहर में तब्दील कर दिया। लेकिन इसके साथ ही इतिहास की स्मृतियों में कुछ नए झरोखे भी खुल गए।
दक्षिण पूर्व तुर्की में हिताइत साम्राज्य की निशानी के तौर पर शेष, पत्थरों के इस महल का रेतीले रंग का बाहरी हिस्सा ओटोमन काल के कई युद्धों और विश्व युद्ध के दौरान फ्रांसीसी हमले के निशानों के साथ अतीत की गवाही दे रहा है। दूसरी सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व के इस चमत्कार गजिआंटेप महल को 6 फरवरी के तुर्की और सीरिया के भूकंप में भारी नुकसान पहुंचा है। झटकों से मिनट या शायद चंद सेकंड पहले तक यह इमारत अपने अतीत की उन कहानियों पर इतरा रही होगी जिनमें रोमनों द्वारा पुनर्ननिर्माण, बीजन्टिन सम्राट जस्टिनियन प्रथम द्वारा विस्तार के साथ बीते साल ही इसके गजिआंटेप डिफेंस एंड हीरोइज्म पैनोरामिक संग्रहालय में तब्दील होने वाला अध्याय भी शामिल है।
यह भूकंप ‘क्या था और क्या बचा’ के बीच हुए बदलाव की तमाम कहानियां हमारे लिए छोड़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘पूर्व, दक्षिण और दक्षिण-पूर्वी भू-भाग में कुछ किले नष्ट हो गए, सड़कों पर मलबे के ढेर लग गए। महल के चारों ओर की लोहे वाली रेलिगं फुटपाथों पर बिखरी दिखी। किले के पास की दीवार भी ढह गई। गढ़ों में बड़ी-बड़ी दरारें दिखीं।’
त्रासदी के शिकार उस ऐतिहासिक स्थल की गवाही देने को अब खंडहर ही शेष हैं। अपने-अपने बयान की तर्ज पर नई कहानी यह कि यहां अब हादसे, दरार और मलबे के नए-नए अर्थ निकल रहे हैं। भूकंप का पैमाना, हताहतों की बढ़ती संख्या, सरकारी नाकामी, बचे लोगों को उनके हाल पर छोड़ना और मानव आपदा की भयावहता पर सामूहिक लाचारी का प्रदर्शन महल के अवशेषों के बीच यह सब आसानी से दिख जाता है।
महल के बगल में, सत्रहवीं शताब्दी की सिरवानी मस्जिद का गुंबद और पूर्वी दीवार का कुछ हिस्सा ढह गया है। दक्षिणी तुर्की के शहर इस्केंडाइन में कैथेड्रल ऑफ द अनाउंसमेंट भी लगभग ढह चुका है। 1858-71 के बीच निर्मित इस कैथोलिक चर्च का पुनर्निर्माण 1901 में आग लगने के बाद हुआ था। यूनेस्को ने इसकी दीवारों के पश्चिमी टावर सहित महत्वपूर्ण हिस्से को हुए नुकसान और कई इमारतों में आई कमजोरी के मद्देनजर प्राचीन शहर अलेप्पपो को लेकर गहरी चिंता जताई है जो सीरियाई युद्ध के कारण खतरे में है और विश्व विरासत की सूची में शामिल है। (यहां अपने जोशीमठ की अनदेखी नहीं की जा सकती जो चार धाम और फूलों की घाटी के साथ संतुलन साध रहा है और यूनेस्को संरक्षित यह इलाका रोज बढ़ती दरारों, धराशायी होते घरों और इमारतों के रूप में सामने है।)
गाजिआंटेप महल के विनाश की जड़ में यूक्रेन युद्द की विभीषिका भी है। यूनेस्को की रिपोर्ट के अनुसार, 24 फरवरी, 2022 के बाद से 8 फरवरी, 2023 तक 238 जगहों को नुकसान पहुंचा। इनमें 105 धार्मिक स्थल, 18 म्यूजियम, ऐतिहासिक और कलात्मक महत्व की 85 इमारतें, 19 स्मारक और 12 पुस्तकालय हैं। इनमें इवांकिव संग्रहालय भी है जिसे रूसी सेना ने आग के हवाले कर दिया और प्रख्यात कलाकार मारिया प्रायमचेंको के 25 दुर्लभ चित्रों सहित यहां संरक्षित यूक्रेनी लोककला के तमाम दुर्लभ नमूने नष्ट हो गए। यूक्रेन की सांस्कृतिक विरासत पर रूसी हमलों की विडंबना यह है कि इसमें नष्ट होने वाली ज्यादातर कलाकृतियां रूसी संस्कृति से जुड़ी हैं। पिछले साल 8 मार्च को संग्रहालय की खिड़कियां अचानक उड़ा दिए जाने के बाद खार्कीव कला संग्रहालय की निदेशक वेलेंटीना मेजगिना की टिप्पणी थी: “लगता है कि हमें रूसी कलाचित्रों को अब रूसी बमों से छिपाकर रखना होगा।”
ऐसी कितनी ही कहानियां मलबों में दबकर रह जाती हैं। जब हम एक खंडहर को महज एक खंडहर में तब्दील कर देते हैं तो हम उसके आसपास की गंभीर मानवीय त्रासदी को कमतर आंक रहे होते हैं। मिसाल के तौर पर, बाबरी मस्जिद ध्वंस से पहले और बाद हुई हिंसा को स्वीकारने में हुई भारी विफलता ने पूरे भारत में इसे पिछला हिसाब ‘ठीक’ कर लेने का जैसा लाईसेंस ही दे दिया। मथुरा की शाही मस्जिद ईदगाह में हनुमान चालीसा पाठ का आह्वान हो या कर्नाटक के श्रीरंगपट्टनम की जामिया मस्जिद में जबरन प्रवेश की कोशिश, बाबरी प्रकरण वाली खमोशी ऐसे ध्वंसकारी मामलों के लिए खाद-पानी साबित हुई।
रेनेसां आर्किटेक्चर के जनक फिलीपो ब्रुनेलेस्ची ने मूर्तिकार डोनाटेलो के साथ मिलकर रोम के खंडहरों का लगातार जैसा अध्ययन किया, उनके जीवनीकार वासरी को लिखना पड़ा: “अध्ययन इतना गहन था कि उनका दिमाग उस कल्पना में भी सक्षम था कि खंडहर में तब्दील होने से पहले अंतिम बार रोम कैसा दिखता होगा।” इस पद्धति से हम बाकी छोड़ भी दें तो चारदीवारों के भीतर छुपे किस्से-कहानियां तो संरक्षित कर ही सकते हैं।
मुझे समकालीन सोफिया (बुल्गारिया) के परिवेश में रची-बसी अद्भुत प्रेम कहानी, गार्थ ग्रीनवेल का उपन्यास ‘व्हाट बेलांग्स टु यू’ याद आ रहा है, जिसकी कहानी सोफिया के सोवियत स्थापत्य वाले शहर के अवशेषों के बीच से निकलती है, और इसकी खाली इमारतें, प्रतिमाएं और जेल अपने आप में चरित्र बनकर उभरते हैं।
इटालो कैल्विनो के उपन्यास ‘इनविजिबल सिटीज’ में, मार्को पोलो बुजुर्ग राजा कुबलई खान को अपने साम्राज्य वाले शहरों की कहानियों के साथ सम्मानित करता है। फेडोरा शहर का जैसा बयान कैल्विनो करते हैं वह गजिआंटेप के संदर्भ में अत्ययंत मार्मिक है। फेडोरा के बीच धातु की एक इमारत है, जिसके हर कमरे में एक क्रिस्टल ग्लोब है! हर ग्लोब देखते हुए आप एक अलग फेडोरा का मॉडल देखते हैं!
कैल्विनो लिखते हैं: “फेडोरा पहले से ही इस रूप में नहीं था, और जैसा कि कल तक जो संभावित भविष्य था, वह कांच के ग्लोब में महज एक खिलौने में सिमट गया था।” ऐसे में गजिआंटेप पर छाई धुंध छंटने के बाद क्या खिलौना शहरों को स्थापित करने वाले कांच के ग्लोब एक ऐतिहासिक स्थल को उसके खुरदुरे अतीत के साथ एक और खंडहर में तब्दील हो जाने से रोकने का एकमात्र तरीका रह जाएंगे?
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