त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के विवादित बोल, टैगोर ने अंग्रेजों के विरोध में लौटाया था नोबेल पुरस्कार 

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने फिर एक विवादित बयान दिया है। उदयपुर में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती पर उन्होंने कहा कि टैगोर ने अंग्रेजों का विरोध करते हुए अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था। 

फोटो: सोशल मीडिया 
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नवजीवन डेस्क

त्रिपुरा के सीएम बिप्लब कुमार देब अपने काम से ज्यादा विवादित बयानों के चलते सुर्खियों में रहते हैं। उदयपुर में टैगोर की जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना नोबेल पुरस्कार लौटा दिया था।

उन्होंने आगे कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने जलियावाला बाग नरसंहार के विरोध में ब्रिटिश राज द्वारा दिए गए नाइटहुड के खिताब को भी लौटा दिया था। जबकि इतिहास के मुताबिक नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक रवींद्रनाथ टैगोर ने जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में नाइटहुड की उपाधि को तो लौटाया था, लेकिन स्वीडिश अकादमी द्वारा दिए गए नोबल पुरस्कार को नहीं लौटाया था।

त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बनने के बाद बिप्लब देब अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। अपने बयानों के चलते पार्टी की कई बार फजीहत भी करा चुके है।

18 अप्रैल को बिप्लब देब ने अगरतला में आयोजित कार्यक्रम में कहा था कि देश में महाभारत युग में भी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध थीं, जिनमें इंटरनेट और सैटेलाइट भी शामिल थे। उन्होंने कहा था कि महाभारत के दौरान संजय ने हस्तिनापुर में बैठकर धृतराष्ट्र को बताया था कि कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध में क्या-क्या हो रहा है। संजय इतनी दूर रहकर आंख से कैसे देख सकते थे। इसका मतलब यह है कि उस समय भी तकनीक, इंटरनेट और सैटेलाइट मौजूद थे।

29 अप्रैल को उन्होंने युवाओं को नौकरियों के बदले पान की दुकान खोलने की नसीहत दे डाली। उन्होंने कहा था, “युवा कई सालों तक राजनीतिक दलों के पीछे सरकारी नौकरी के लिए पड़े रहते हैं। वे अपने जीवन का कीमती समय यहां-वहां दौड़-भाग कर सरकारी नौकरी की तलाश में बर्बाद करते हैं। मगर वही युवा सरकारी नौकरी तलाश करने के लिए राजनीतिक पार्टियों के पीछे भागने की बजाय पान की दुकान लगा ले तो उसके बैंक खाते में अब तक 5 लाख रुपए जमा होते।

सिविल सेवा और इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के छात्रों को लेकर भी अजीबो-गरीब बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था, “मैकेनिकल बैकग्राउंड के छात्रों को सिविल सेवा में नहीं जाना चाहिए। सिविल सेवा में अगर सिविल बैकग्राउंड के छात्र जाते हैं तो उसका फायदा मिल सकता है। सिविल इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के छात्रों से समाज और प्रशासन के कार्यों में मदद मिल सकती है।”

26 अप्रैल को बिप्लब देब का डायना हेडन को लेकर दिए गए उनके बयानों ने भी कार्फी सुर्खियां बटोरी थी। उन्होंने डायना के 1997 में मिस वर्ल्ड खिताब जीतने पर कहा था, “डायना हेडन इंडियन ब्यूटी नहीं हैं। डायना हेडन की जीत फिक्स थी। क्या आपको लगता है कि उन्हें ताज जीतना चाहिए था?’’

बिप्लब देब के विवादित बयानों का सिलसिला यही नहीं थमा। उन्होंने 1 मई को विपक्षी पार्टियों के खिलाफ भी विवादित बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार पर कोई अंगुली नहीं उठा सकता, नाखून भी नहीं लगा सकता, जो नाखून लगाएगा उसका नाखून काट दिया जाएगा।

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