किसानों की 'इम्यूनिटी' बनाए रखने के लिए गुरुद्वारों में बन रहे हैं खास लड्डू, महिलाएं भी मोर्चा संभालने को तैयार

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के हौसले के साथ उनकी शारीरिक शक्ति भी बनी रहे और सर्दी में इम्यूनिटी कम न हो, इसके लिए गुरुद्वारों में अब किसानों के लिए विशेष लड्डू बनाए जा रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के किसान परिवारों की महिलाएं भी मोर्चा संभालने के लिए कूच की तैयारी में हैं।

फोटो : आस मोहम्मद कैफ
फोटो : आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

दिल्ली में जारी किसान आंदोलन का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा। आंदोलन को लेकर हो रही विवादित बयानबाजी से किसानों में नाराजगी है। ख़ासकर महिलाओं के प्रति की जा रही टिप्पणियों से महिलाओं में बहुत गुस्सा हैं। बिजनोर में गंगा किनारे खादर इलाके में रहने वाली 72 साल की हरदेव कौर नवजीवन को बताती है कि वो बीमार है, इसलिए मजबूर है मगर उसका दिल दिल्ली में ही लगा है। हरदेव कौर घुटनों की समस्या से जूझ रही है मगर किसान आंदोलन की बात करते हुए नाराजग़ी जताते हुए वह कहती हैं, "यह लड़ाई सिर्फ पंजाब-हरियाणा के किसानों की नही हैं,बल्कि देश भर के किसानों की हैं।"

वो टीवी और मोबाइल पर खबरे देखती हैं। सीधी सी बात करती हैं। कहती हैं, "सरकार कह रही है कि वो यह कानून किसानों की सहूलियत के लिए ला रही है, तो हम किसान इसे नहीं चाह रहे है तो सरकार को दिक्कत क्यों है।! मान लिया कि सरकार हमें 'लड्डू' खिला रही है, लेकिन हम नहीं खाना चाहते, तो जबरदस्ती है क्या, क्यों हमारे मुंह मे ठूंस रहे हैं?"

किसानों की 'इम्यूनिटी' बनाए रखने के लिए गुरुद्वारों में बन रहे हैं खास लड्डू, महिलाएं भी मोर्चा संभालने को तैयार

हरदेव कौर के पति हिम्मत सिंह अपनी पत्नी की हां में हां मिलाते हैं और कहते हैं "पहले एक कम्पनी ने मोबाइल के सिम फ्री में बांट दिए अब उसके अलावा किसी और कंपनी की रेंज नही आती, हमें ऐसा लड्डू नहीं खाना जो पेट खराब कर दे।" हिम्मत सिंह 5 एकड़ के किसान हैं, वो देवल गांव में रहते हैं। यह गांव दिल्ली से 150 किमी दूर गंगा बैराज के एकदम नज़दीक हैं। हिम्मत सिंह के मुताबिक उनकी पत्नी तक इन कानून को लेकर परेशान है। किसानों में बेचैनी है। बच्चें तक सवाल पूछ रहे हैं। छोटे किसान तो तबाह हो ही जायेंगे।

किसानों की 'इम्यूनिटी' बनाए रखने के लिए गुरुद्वारों में बन रहे हैं खास लड्डू, महिलाएं भी मोर्चा संभालने को तैयार

इसी गांव की 52 वर्षीय राजिंदर कौर चाहती हैं कि उन्हें भी दिल्ली भेजा जाए और वो वहां धरने पर बैठे किसानों को रोटी बनाकर खिलाएं। राजिंदर कौर फ़िल्म अभिनेत्री कंगना रणौत के बुजुर्ग महिला महिंदर कौर पर दिए गए बयान स नाराज़ है। वो कहती हैं, "महिलाएं पुरुषों से जुड़ी हुई हैं, जब उनके घर के मर्द यहां धरने पर हैं वो घर मे रहकर क्या करेंगी? वो तो उनके ही साथ रहेंगी। कंगना ने बेहद आपत्तिजनक बात कही है।" वो चाहती हैं कि कंगना उनके जानवरों का एक घंटे चारा करें और इसके लिए वो उन्हें एक हजार रुपये देंगी। राजिंदर कौर के मुताबिक तैयारी कर रही है और दिल्ली जाकर कारसेवा करेगी।

देवल के पूर्व प्रधान अवतार सिंह बताते हैं कि किसानों को लेकर यहां गांव में काफी चर्चा हो रही है। गांव के लोगों के पास आंदोलन की सभी खबरें है। अब दिन भर सभी इसी बारे में बात करते हैं। महिलाओं में भी यही चर्चा है। किसान इस कानून को बिल्कुल नहीं चाहते। अवतार बताते हैं कि सरकार का नजरिया तानाशाही है। वह कहते हैं कि सरकार किसानों के हितों का ख्याल नही रख रही है, बल्कि आंदोलन को बदनाम कर रही है। वे कहते हैं कि "आज नहीं तो कल सरकार को झुकना होगा। हमने जमीन को अपने खून पसीने से सींचा है हम लगाम अंबानी- अडानी के हाथ में कैसे दे देंगे?"


इसी मार्ग पर गुरुद्वारा साहिब रामराज में दर्जनों सिख युवक लड्डू बना रहे हैं। गुरप्रीत सिंह लाड़ी बताते हैं कि "दिल्ली में किसान बहुत ही जायज़ और हक़ की लड़ाई लड़ रहे हैं हम उनके साथ हैं। सर्दी बढ़ रही है इसलिए हम उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए देशी घी में बेसन और बादाम के लड्डू बना रहे हैं।" इस काम मे लगे बूटा सिंह और बोला सिंह कहते हैं. "किसानों की यह लड़ाई हमारे लिए ही है,सरकार को हमें सुनना ही होगा,अन्नदाता को पहले ही बहुत परेशानियॉ है उन्हें और अधिक परेशान करना ठीक नही है। खेती को मुश्किल बनाया जा रहा है।"

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Published: 06 Dec 2020, 9:30 PM