हर साल हो रही किरकिरी से बिहार बोर्ड अलर्ट, रिजल्ट से पहले हुई टॉपर्स की जांच-पड़ताल

पिछले दो सालों से परीक्षा परिणामों से हो रही किरकिरी से बचने के लिए बिहार बोर्ड ने इस बार टॉपर्स के नामों का ऐलान करने से पहले ही एक्सपर्ट द्वारा उनकी जांच-परख करा ली है।

फोटो: सोशल मीडिया 
फोटो: सोशल मीडिया
user

नवजीवन डेस्क

बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (बीएसईबी) ने 2018 की 12वीं परीक्षा के परिणाम जारी कर दिये हैं। इस साल 52.9 प्रतिशत छात्र सफल हुए हैं। साइंस में 44.71 फीसदी, आर्ट्स में 61 फीसदी और कॉमर्स में 91.32 फीसदी छात्र सफल हुए हैं। तीनों विषयों में लड़कियों ने ही बाजी मारी है। हाल ही में मेडिकल प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) में देश भर में पहला स्थान हासिल करने वाली कल्पना कुमारी ने 434 अंक के साथ साइंस में पहला स्थान हासिल किया है। कॉमर्स में आरडीएस कॉलेज मुजफ्फरपुर की निधि सिन्हा कॉमर्स ने टॉप किया है। वहीं, सिमुलतला की छात्रा कुसुम कुमारी ने आर्ट्स संकाय में टॉपर किया है। छात्र अपने रिजल्ट बोर्ड के आधिकारिक वेबसाइट biharboard.ac.in पर जाकर देख सकते हैं।

बिहार बोर्ड का रिजल्ट पिछले कुछ सालों से अपने टॉपर्स की वजह से सुर्खियों में रहता है। इसको देखते हुए इस बार बोर्ड ने फूंक-फूंक कर कदम रखा और ऐसी किसी भी स्थिति से बचने के लिये पहले से ही खास इंतजाम किया था। इसके लिए हर स्तर पर पुख्ता इंतजाम किए गए थे। खबरों के मुताबिक, बोर्ड ने परिणाम घोषित करने से पहले सभी संकाय के टॉपर्स का एक्सपर्ट द्वारा फिजिकल वेरिफिकेशन कराया। इसके लिये पटना स्थित बोर्ड ऑफिस बुलाकर करीब 100 टॉपर्स का तीन दिनों तक वेरिफिकेशन किया गया। सबसे पहले एक्सपर्ट्स से इन टौपर्स की कॉपी की फिर से जांच कराई गई और उसके बाद इन सभी का इंटरव्यू लिया गया।

इससे पहले बार कोडिंग वाली ओएमआर शीट पर परीक्षा ली गई थी। रिजल्ट तैयार होने के बावजूद 25 दिनों तक रिजल्ट की जांच पड़ताल की जाती रही। यही नहीं, इसके बाद एक्सपर्ट्स द्वारा 3 चरणों में कॉपियों की जांच भी कराई गई।

पिछले 2 साल रिजल्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की वजह से बिहार बोर्ड और बिहार सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। दो सालों से टॉपर्स की वजह से बिहार बोर्ड देश भर में सुर्खियों में छाया रहा था। साल 2016 में आर्ट्स टॉपर रूबी रॉय की कहानी ने बिहार बोर्ड की जमकर जगहसाई कराई। वैशाली जिले की रहने वाली रूबी का नाम बोर्ड की ओर से आर्ट्स टॉपर के रूप में घोषित किया गया था। लेकिन इस टॉपर को अपने विषय तक का नाम सही से नहीं पता था। टॉप करने के बाद जब मीडिया ने रूबी से उसके विषय का नाम पूछा तो उसने पॉलिटिकल साइंस को प्रॉडिकल साइंस बताया। इस पूरे मामले में रूबी ने जिस कॉलेज से परीक्षा दी थी उसके संचालक से लेकर बोर्ड के अध्यक्ष लालकेश्वर प्रसाद तक को जेल जाना पड़ा था।


साल 2017 में जब 12वीं का परिणाम आया तो एक बार फिर बिहार टॉपर घोटाले का गवाह बना। इस बार भी मामला आर्ट्स टॉपर का था। समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड के छखबीबी गांव स्थित रामनंदन सिंह जगदीप नारायण सिंह हाई स्कूल से परीक्षा देने वाले गणेश कुमार को परीक्षा में टॉप घोषित किया गया था। टॉपर गणेश कुमार ने संगीत विषय से टॉप किया था। 23 वर्षीय गणेश से जब उनके संगीत ज्ञान के बारे में पूछा गया तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे सके थे। उनसे ‘मिथिला कोकिला’ के बारे में पूछा गया जिसपर उन्होंने शारदा सिन्हा के बजाय लता मंगेशकर का नाम लिया था। यही नहीं गणेश सुर, ताल और मात्रा में भी अंतर स्पष्ट नहीं कर पाए थे।

साल 2016 और 2017 में किरकिरी होने के बाद से बिहार बोर्ड ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा है। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि साइंस संकाय से जिस छात्रा ने टॉप किया है, उसने दो दिन पहले आए नीट के रिजल्ट में देश भर में टॉप किया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार बिहार बोर्ड के रिजल्ट के साथ कोई विवाद न जुड़े और छात्र सुकून से अपने रिजल्ट का जश्न मना सकें।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia