फिर सड़क पर उतरे अन्नदाता, ‘किसान क्रांति यात्रा’ में लाखों किसान शामिल, 2 अक्टूबर को दिल्ली में रैली

केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज़ किसान एक बार फिर सड़को पर हैं। इस बार कमान उत्तर प्रदेश के किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के हाथों में है। यह वही संगठन है जिसकी स्थापना दिवंगत किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी, फिलहाल इसका नेतृत्व उनके पुत्र नरेश टिकैत कर रहे हैं।

फोटो : आस मोहम्मद कैफ
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आस मोहम्मद कैफ

केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज़ किसान एक बार फिर सड़को पर हैं। इस बार कमान उत्तर प्रदेश के किसानों के सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन के हाथों में है। यह वही संगठन है जिसकी स्थापना दिवंगत किसान नेता चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत ने की थी, फिलहाल इसका नेतृत्व उनके पुत्र नरेश टिकैत कर रहे हैं।

23 सितंबर को हरिद्वार से शुरू हुई इस पदयात्रा में हजारों किसान शामिल हैं, जिनमें बड़ी संख्या में पूर्वांचल के किसान भी हैं। यह सभी सरकार से नाराज़ है। यात्रा इस समय मुजफ्फरनगर पहुंची है,जहां उसे अभूतपूर्व समर्थन हासिल हुआ है। मुजफ्फरनगर दंगों के बाद से कमजोर पड़ गई भारतीय किसान यूनियन को मुसलमान किसानों और विरोधियों का भी समर्थन मिला है। भारतीय किसान यूनियन के मंच से अल्लाह-हु-अकबर और हर-हर महादेव के नारे एक साथ लग रहे हैं। ये नारे यूनियन की पहचान रहे हैं, मगर दंगे के बाद सुनाई नही देते थे।

फिर सड़क पर उतरे अन्नदाता, ‘किसान क्रांति यात्रा’ में लाखों किसान शामिल,  2 अक्टूबर को दिल्ली में रैली

23 सितम्बर को हरिद्वार के टिकैत घाट से शुरु हुई यह किसान यात्रा 2 अक्टूबर को दिल्ली में किसान घाट पर संपन्न होगी। 'किसान क्रान्ति यात्रा ' के नाम से जारी इस यात्रा में देश भर के सभी राज्यों से हजारों किसान हिस्सा ले रहे हैं। यात्रा के संयोजक भारतीय किसान यूनियन के महासचिव राकेश टिकैत के मुताबिक, "किसान लंबे समय से स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू कराने, न्यूनतम समर्थन मूल्य और कर्जमाफी के सवाल पर आंदोलन कर रहे हैं।सरकार के चार साल पूरे हो जाने के बाद भी जगह-जगह खड़े हो रहे किसान आन्दोलन इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसानों की समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है।"

फिर सड़क पर उतरे अन्नदाता, ‘किसान क्रांति यात्रा’ में लाखों किसान शामिल,  2 अक्टूबर को दिल्ली में रैली

उनका कहना है कि सरकारी रिपोर्टें ही कहती हैं कि किसान खेती छोड़ रहे हैं, आत्महत्याएं कर रहे हैं क्योंकि फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण कर्ज का भार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के हित में न होकर बीमा कम्पनियों के हित में कार्य कर रही है। इस किसान यात्रा में गन्ना भी एक बड़ा मुद्दा है।

यूनियन के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के मुताबिक, "देश के गन्ना किसानों का लगभग 19 हजार करोड़ रुपया गन्ना सीजन बन्द होने के बाद भी बकाया है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में 14 दिन में गन्ना भुगतान की बात कही थी। भारतीय जनता पार्टी का यह वादा भी किसानों के लिए जुमला ही साबित हुआ है। किसान के नाम पर बने एक आयोग की रिपोर्ट पिछले 15 साल से धूल चाट रही है। उसे लागू करना तो दूर आज तक उस पर संसद में चर्चा भी नहीं हुई। सरकारों द्वारा किसानों का उत्पीड़न जारी है।"

फिर सड़क पर उतरे अन्नदाता, ‘किसान क्रांति यात्रा’ में लाखों किसान शामिल,  2 अक्टूबर को दिल्ली में रैली

किसान क्रांति यात्रा की शुरूआत में लगभग 30 हजार किसान और 500 से अधिक ट्रैक्टर शामिल हुए हैं। जैसे-जैसे यात्रा मंगलौर मंडी, बरला इण्टर कालिज, मुजफ्फरनगर कूकडा मंडी रूकी, तो किसानों द्वारा यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया।

गुरुवार को मुजफ्फरनगर से चलकर यात्रा का पड़ाव मुजफ्फरनगर के भैंसी गांव में हुआ। यात्रा के मंसूरपुर पहुंचने पर किसानों का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों ट्रैक्टरों के साथ कई हजार किसान यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद से यात्रा में लगभग 50 हजार किसान चल रहे हैं। यात्रा से आवागमन में कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो रही है। किसानों का काफिला राष्ट्रीय राजमार्ग-58 पर अनुशासित तरीके से सड़क के एक तरफ चल रहा है।

यात्रा की विशेषता यह है कि यात्रा में बच्चो से लेकर बुजुर्ग, नौजवान एवं महिलाएं भी कंघे से कंधे मिलाकर साथ चल रही है। यात्रा का हर गांव कस्बे में भव्य स्वागत किया जा रहा है। यात्रियों के लिए हर गांव के सामने खाने की व्यवस्था का पूरा प्रबन्ध किया गया है। किसान गांव से दाल-चावल, आलू पूरी, खीर-हलवा तरह-तरह का भोजन लेकर यात्रियों का उत्साह बढ़ा रहे है। किसान नेताओं को उम्मीद है कि 2 अक्टूबर को जब यह किसान यात्रा दिल्ली में प्रवेश करेगी, तो इसमें लाखों किसानों की मौजूदगी होगी।

खास बात यह है कि यूनियन की इस यात्रा को उनके विरोधी समझे जाने वाले किसानो ने भी समर्थन किया है और बड़ी संख्या में मुसलमानो का भी साथ मिला है। मुजफ्फरनगर के खालापार जैसी जगह पर यात्रा का मुसलमानो ने जबरदस्त स्वागत किया। यूनियन के शाहिद आलम के मुताबिक सब समझ रहे हैं कि यात्रा किसान हित में है और सरकार की किसान विरोधी नीतियों का विरोध करती है और किसान मजदूर की कोई जाति नही होती इसलिए सब साथ आ गए हैं।

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