कोरोना जिन्हें अपनी चपेट में ले रहा, उनमें ये बीमारी भी ले रही है जन्म, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नवीद जंजुआ ने कहा, निष्कर्ष से पता चलता है कि कोविड-19 संक्रमण पोस्टएक्यूट चरण में ब्लड ग्लूकोज को विनियमित करने में शामिल अंग प्रणालियों में परिणामों से जुड़ा हो सकता है।
देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों ने चिंताएं बढ़ा दी हैं। लगभग 3 से 5 प्रतिशत मामलों में पाया गया है कि मधुमेह की शुरूआत कोरोना की वजह से होती है। दुनिया में 20 में से एक व्यक्ति मधुमेह का रोगी है। एक अध्ययन से यह खुलासा हुआ है। ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक टीम के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में पाया गया कि सार्स-सीओवी-2 संक्रमण मधुमेह से जुड़ा हुआ है, यह दिखाता है कि इन संक्रमणों ने मधुमेह के जोखिम को बढ़ाने में योगदान दिया है।
यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर नवीद जंजुआ ने कहा, निष्कर्ष से पता चलता है कि कोविड-19 संक्रमण पोस्टएक्यूट चरण में ब्लड ग्लूकोज को विनियमित करने में शामिल अंग प्रणालियों में परिणामों से जुड़ा हो सकता है। जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित निष्कर्षो से पता चला है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मधुमेह होने की संभावना अधिक है।
जो लोग गंभीर कोविड से पीड़ित थे और अस्पताल में भर्ती थे, उनमें मधुमेह की संभावना उन लोगों से दोगुनी थी, जो संक्रमित नहीं हुए। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को गहन देखभाल में भर्ती कराया गया था, उनमें मधुमेह होने की संभावना तीन गुना ज्यादा थी। जंजुआ ने कहा, कोविड-19 से संक्रमित लोगों की बड़ी संख्या को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि मधुमेह के मरीज एक बहुत बड़े जनसंख्या स्तर में जा सकते हैं, जो स्वास्थ्य सेवा पर असर डाल सकता है।
अध्ययन के लिए, टीम ने 629,935 लोगों के रिकॉर्ड की जांच की, जिन्होंने कोविड के लिए पीसीआर टेस्ट लिया था। परिणामों से पता चला कि जिन वयस्कों का वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया उनमें एक वर्ष के भीतर मधुमेह होने की संभावना 17 प्रतिशत अधिक थी।
एक अन्य रिपोर्ट एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड संक्रमण और मौत दोनों में मौजूदा वृद्धि चिंता का कोई कारण नहीं है। हम कोविड की स्थानिकता तक पहुंच चुके हैं।
संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा कि रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से हमें कोविड के और मामले मिल सकते हैं। उन्होंने कहा, जिस तरह से मामले अब कई गुना बढ़ रहे हैं, मई के अंत तक संख्या एक दिन में एक लाख तक जा सकती है, (लेकिन) तब भी मैं इसे लहर नहीं कहूंगा। डॉ. गिलाडा ने कहा कि हमें बहुत अधिक निगरानी करने की जरूरत है और समय-समय पर उतार-चढ़ाव को कम करना है। यह उस स्थानिकता का हिस्सा है, जिसमें हम पहले से ही हैं। चूंकि पिछले 16 महीनों में कोई नया संस्करण नहीं है, हमें चिंता करने की जरूरत नहीं है कि वहां एक बड़ी लहर होगी।
फोर्टिस अस्पताल, मुलुंड की संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. अनीता मैथ्यू ने कहा, ऐसा लगता है कि कोविड-19 स्थानिक हो गया है और फ्लू की तरह हम निकट भविष्य में उतार-चढ़ाव देख सकते हैं। संक्रमण के साथ-साथ मरने वालों की संख्या भी बढ़ रही है।
डॉ. गिलाडा के अनुसार, लगभग 70 प्रतिशत मौतें 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों और सह-रुग्णताओं, अनियंत्रित मधुमेह, गुर्दे की समस्या वाले कैंसर रोगियों, कीमोथेरेपी रोगियों और तपेदिक रोगियों में देखी जाती हैं।
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Published: 20 Apr 2023, 10:36 AM