यह हैं वे कारण जिनके चलते जातीय समीकरणों को चकमा देने वाले अयोध्या से मुखर न हो सका हिंदुत्व का चेहरा
ब्राहमण बाहुल्य क्षेत्र अयोध्या जातीय समीकरणों को चकमा देता रहा है। सीएम योगी के गोरखपुर से चुनाव लड़ने के निर्णय के बाद स्थानीय निवासियों की राय और मौजूदा समीकरण भी ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।
बीजेपी में हिन्दुत्व के मुखौटे के तौर पर उभरे उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे। पहले अयोध्या सीट से उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही थी। तब एक तीर से कई मकसद सिद्ध होते। उनका हिंदुत्व का चेहरा और मुखर होता। चुनाव में राष्ट्रवादी राजनीति का रंग गहराता और मंदिर निर्माण में अहम भूमिका का प्रचार राज्य के मुखिया की कुर्सी पर दावेदारी को आसान बनाता। पर पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य समेत छह ओबीसी नेताओं के पाला बदलते ही बीजेपी ने भी अपना एजेंडा बदल दिया और सीएम योगी को गोरखपुर का टिकट थमा दिया। वैसे भी ब्राहमण बाहुल्य क्षेत्र अयोध्या जातीय समीकरणों को चकमा देता रहा है। सीएम योगी के गोरखपुर से चुनाव लड़ने के निर्णय के बाद स्थानीय निवासियों की राय और मौजूदा समीकरण भी ऐसे ही संकेत दे रहे हैं।
'नहीं दिख रहा गुजरात माडल'
अयोध्या निवासी राकेश शुक्ला कहते हैं कि जब योगी के अयोध्या से चुनाव लड़ने की चर्चा चली थी तो लोगों में उत्साह था कि इससे अयोध्या का विकास होगा। पर उनके गोरखपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद लोगों में निराशा आयी है। अखंड प्रताप मिश्रा कहते हैं कि राम की नगरी ने उन्हें पूरी दुनिया में नाम दिया पर यदि वह यहां से चुनाव लड़ते तो यह सीट वीवीआईपी हो जाती और इसी बहाने नगरी का विकास होता। पर वह सवाल भी पूछते हैं कि विकास कहां हुआ है? बेरोजगारी बढ़ी है, युवा नौकरी पाने की लाइन में खड़ा है और धक्के खा रहा है। पूर्व के चुनाव में यह प्रचारित किया गया था कि गुजरात मॉडल की तरह यूपी का विकास होगा। पर वह मॉडल अब कहीं दिख नहीं रहा है।
दोबारा सीएम बनते तो बढ़ता अयोध्या का महत्व
विजय कुमार की राय है कि लोगों को लगा था कि योगी के यहां से चुनाव लड़ने से धीमी पड़ी योजनाएं दौड़ पड़ेंगी। योजनाओं में कमीशनखोरी से निजात मिल सकती है। अगर वह यहां से जीतकर दोबारा सीएम बनते तो यहां का महत्व और महत्व बढ़ जाता। लेकिन सुभाष चन्द्र की शिकायत है कि योगी सरकार में लोगों को योजनाओं का पूरा लाभ तो मिला ही नहीं।
क्या पूर्वांचल में जिताऊ साबित होंगे योगी
श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य डॉ राम विलास वेदांती का कहना है कि ‘अयोध्यावासी चाहते थे कि योगीजी अयोध्या से ही चुनाव लड़ें। सीएम बनने के बाद उन्होंने राम की पैड़ी को स्वर्ग की पैड़ी बना दिया। त्रेतायुग के बाद पहली बार अयोध्या में दीपावली उत्सव मनाया। सारे विश्व के लोगों को बुलाकर दिखाया और उनका सम्मान किया। योगी आदित्यनाथ ने राम की नगरी को त्रेतायुग से कलियुग में उतार दिया। ऐसा अनोखा दृश्य पहली बार अयोध्या के लोगों ने देखा। लोगों में उत्साह था कि योगी जी चुनाव लड़ेंगे तो उनका एक नया रूप देखने का मौका मिलेगा। ऐसा लगता है कि योगी के गोरखपुर से चुनाव लड़ने का पूर्वांचल की सीटों पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। इसीलिए उन्हें गोरखपुर से चुनाव लड़ाने का फैसला किया गया। पार्टी ने जो भी निर्णय लिया है। हम उसका स्वागत करते हैं।“
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