त्योहार मनाकर लौट रहे मजदूरों का छलका दर्द, कहा- बिहार में रोजगार नहीं, इसलिए दिल्ली जा रहे हैं

दिल्ली के लिए रवाना हुए अरुण महतो ने बताया कि दिल्ली कमाने के लिए जा रहे हैं। बिहार में रोजगार नहीं है और रोजगार मिलता भी है तो दिहाड़ी इतनी कम होती है कि परिवार का गुजारा नहीं चल पाता है।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

छठ पूजा मनाने के बाद बिहार से मजदूर अपने कार्य क्षेत्र लौटने लगे हैं। वैशाली से दिल्ली की ट्रेनों में सफर कर रहे कुछ यात्रियों से आईएएनएस ने बात की। यात्रियों ने बिहार छोड़कर दिल्ली जाने की अपनी मजबूरी बताई।

कुछ यात्री हरियाणा, बंगाल, कोलकाता, रायपुर, लुधियाना, पंजाब जाने के लिए निकले थे। रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ भी देखने को मिली है। हालांकि, रेलवे की ओर से यात्रियों की सहूलियत को देखते हुए पर्याप्त व्यवस्था भी की गई है।

दिल्ली के लिए रवाना हुए अरुण महतो ने बताया कि दिल्ली कमाने के लिए जा रहे हैं। बिहार में रोजगार नहीं है और रोजगार मिलता भी है तो दिहाड़ी इतनी कम होती है कि परिवार का गुजारा नहीं चल पाता है। दिल्ली में मिस्त्री के साथ काम करके 800 रुपये रोजाना कमाते हैं, जिससे परिवार का गुजर बसर हो जाता है।

कुछ ऐसा ही जवाब बुधन कुमार ने दिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली कमाने के लिए जा रहे हैं क्योंकि वहां पर महीने के 17-18 हजार रुपये कमा लेते हैं जिससे परिवार का खर्चा चल जाता है।

दिलीप कुमार ने बताया कि छठ पूजा मनाने के लिए बिहार आए थे। अब रोजगार के लिए दिल्ली जा रहे हैं क्योंकि बिहार में दिल्ली जितना पैसा नहीं मिलता है और परिवार का खर्चा भी पूरा नहीं पड़ता है। दिल्ली में 800 रुपये प्रतिदिन कमा लेते हैं। परिवार अच्छे से चलता है और कुछ पैसे भी बचा लेते हैं।

विपिन कुमार ने बताया कि बिहार सरकार को रोजगार के लिए कुछ करना चाहिए। दिल्ली जाना मजबूरी है क्योंकि बिहार में काम के लिए बहुत कम पैसे मिलते हैं जिससे गुजारा नहीं हो पाता है। दिल्ली में मिस्त्री का काम करते हैं और रोजाना एक हजार रुपये कमाते हैं। इन पैसों से "मेरा और मेरे परिवार का गुजारा अच्छे से हो जाता है"।

--आईएएनएस

डीकेएम/एकेजे

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