मारुति सुजुकी के मजदूरों ने की जेल में बंद अपने पुराने साथियों के परिवारवालों की आर्थिक मदद
पिछले साल 18 मार्च को अदालत ने 18 जुलाई 2012 की शाम हुए कत्ल, हिंसा और अन्य अपराधों में 13 पूर्व श्रमिकों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
मारुति सुजुकी के गुरुग्राम संयंत्र के कर्मचारियों ने गुरुवार को कंपनी के मानेसर संयंत्र में 2012 में हुई हिंसा मामले में जेल में बंद कंपनी के 13 पूर्व-कर्मचारियों के परिवारों को कुल 45.5 लाख रुपये की मदद दी। एक यूनियन नेता ने यह जानकारी दी। कंपनी के गुरुग्राम संयंत्र के कामगार संघ (मारुति उद्योग कामगार संघ) के महासचिव कुलदीप जंगु ने कहा कि 2,200 से अधिक श्रमिकों से प्रत्येक से 2,000 रुपये इकट्ठा किए गए।
जांगु ने बताया, "ओल्ड दिल्ली रोड पर सेक्टर 18 में स्थित फैक्ट्री परिसर की यूनियन कार्यालय में प्रत्येक पीड़ित परिवार को 3.5 लाख रुपये की राशि सौंपी जाएगी।"
साल 2017 में 14 अक्टूबर को मानेसर संयंत्र के मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन (एमएसडब्ल्यूयू) ने जेल में बंद कंपनी के 13 पूर्व श्रमिकों के परिवारों को कुल 71.5 लाख रुपये (5.5 लाख रुपये प्रत्येक परिवार को) सौंपे थे।
यूनियन नेताओं ने कहा कि मानेसर संयंत्र के श्रमिकों ने अपने पूर्व सहयोगियों के परिवारों को वित्तीय सहायता देने के लिए 5000-5000 रुपये का योगदान दिया था, जिनकी वित्तीय स्थिति बहुत खराब थी।
2016 में 16 अप्रैल को मारुति उद्योग कामगार संघ ने 31 प्रभावित परिवारों को 50,000-50,000 रुपये दिए थे।
2017 में 18 जुलाई को सनबीम ऑटो कंपनी के श्रमिक संघ ने 13 परिवारों में से प्रत्येक को 75,000 रुपये दिए।
गुरुग्राम के अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश आरपी गोयल ने 2017 में 10 मार्च को मारुति सुजुकी इंडिया लि. (एमएसआईएल) के मानेसर संयंत्र में 2012 में 18 जुलाई की शाम में हुए कत्ल, हिंसा और अन्य अपराधों में 31 पूर्व कर्मियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई थी।
पिछले साल 18 मार्च को अदालत ने हिंसा और दंगा मामले में 13 पूर्व श्रमिकों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
अदालत ने चार आरोपियों को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई और कहा कि शेष 14 आरोपियों द्वारा पहले ही जेल में काटी गई सजा पर्याप्त है।
इस हिंसा में मारुति सुजुकी के मानव संसाधन विभाग के महाप्रबंधक अश्विन कुमार देव की मौत हो गई थी और चार दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए थे।
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