सर्वे से सामने आई बदहाली की असली तस्वीर, हर तीन में एक लघु उद्योग बंदी के कगार पर
ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के एक सर्वे से पता चला है कि लॉकडाउन में दी गई ढील में देश के एक तिहाई यानी 33 फीसदी से अधिक लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) काम शुरू करने में असमर्थ हैं। यानि हर तीन में से एक लघु उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।
देश में पहले से जारी आर्थिक संकट की वजह से बढ़ती बेरोजगारी में अब एक और बुरी खबर है। एक ताजा सर्वे से पता चला है कि देश के एक तिहाई यानी 33 फीसदी से ज्यादा लघु और मंझोले उद्योग लॉकडाउन में मिली छूट में काम शुरू करने में असमर्थ हैं और बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं। जिसका अर्थ है कि देश में हर तीन में से एक लघु उद्योग बंद होने की कगार पर है। ऐसे में इनमें काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरी पर संकट आ गया है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार यह जानकारी ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एआईएमओ) द्वारा नौ उद्योग निकायों के साथ मिलकर कराए गए एक सर्वे में सामने आई है। सर्वे में 35 प्रतिशत एमएसएमई और 37 प्रतिशत स्व-रोजगार करने वालों ने कहा कि उनका कारोबार फिर से खड़ा नहीं हो पाएगा। जबकि सर्वे में 32 फीसदी एमएसएमई ने कहा कि उन्हें पटरी पर लौटने में 6 महीने लगेंगे। जबकि सर्वे में केवल 12 फीसदी ने 3 महीने से कम समय में रिकवरी करने की उम्मीद जताई है।
देश का एमएसएमई सेक्टर करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार उपलभ्द कराता है। ऐसे में इतनी बड़ी बंदी के कारण लाखों-करोड़ों लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। इससे पहले से ही लॉकडाउन के कारण आर्थिक बदहाली में पहुंच चुके देश के निम्न और निम्न मध्यम वर्ग के सामने एक और बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी। लाखों परिवारों के सामने जीवन-मरण का संकट खड़ा हो जाएगा।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हालात की गंभीरता को देखते हुए एक बार फिर प्रभावितों को तत्काल राहत देने की सरकार से मांगकी है। उन्होंने कहा, देश में “11 करोड़ भारतीयों को रोजगार देने वाले एमएसएमई सेक्टर का हर तीन में से एक उद्योग बंद हो रहा है। इन लोगों को तत्काल नकद राहत नहीं देकर भारत सरकार अपराध कर रही है।”
गौरतलब है कि लॉकडाउन के चलते दो महीने से काम बंद होने के कारण कई एजेंसियों ने इस साल भारत का विकास दर नकारात्मक रहने की संभावना जताई है। हालांकि, राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा पिछले सप्ताह जारी जीडीपी आंकड़ों के अनुसार देश की विकास दर 11 साल के न्यूनतम स्तर 4.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है। वहीं आरबीआई ने हाल ही में 2020-21 में विकास दर नकारात्मक श्रेणी में रहने की आशंका जताई है।
बता दें कि देश में इस समय एमएसएमई उद्योगों की संख्या छह करोड़ से अधिक है और इनमें 11 करोड़ से अधिक लोग काम करते हैं। जबकि एमएसएमई से ही देश के कुल विनिर्माण उत्पादन का 45 प्रतिशत, निर्यात का 40 प्रतिशत आता है, जिससे राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इसका लगभग 30 प्रतिशत योगदान होता है।
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Published: 02 Jun 2020, 8:10 PM