नेपाल ने फिर दिखाई आंख, भारतीय क्षेत्र को अपना दिखाने वाले मानचित्र का प्रतिनिधि सभा ने किया समर्थन
बीते दिनों नेपाल द्वारा नए राजनीतिक मानचित्र में लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपने क्षेत्र में दिखाए जाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 28 मई को कहा था कि वह नेपाल के साथ सीमा के मुद्दे को पारस्परिक सम्मान के आधार पर विश्वास के माहौल में सुलझाना चाहता है।
नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने देश के नए और विवादित नक्शे को लेकर पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। नेपाली मीडिया के अनुसार, भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है।
प्रधानमंत्री के पी ओली के नेतृत्व वाली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने इस संविधान संशोधन विधेयक को नेपाल की संसद में पेश किया, जिसका प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और मधेसी-आधारित पार्टियों ने समर्थन कर दिया। इसके बाद अब इस विधेयक को संसद में पारित कराने का रास्ता साफ हो गया है। नेपाल के संसदीय कार्यमंत्री शिवमया तुंबांगफे ने 30 मई को देश के नक्शे को अपडेट करने और संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में चर्चा के लिए विधेयक पेश किया था।
बीते दिनों नेपाल द्वारा देश का एक नया राजनीतिक मानचित्र जारी कर लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी को अपने क्षेत्र में दिखाए जाने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 28 मई को कहा था कि वह नेपाल के साथ सीमा के मुद्दे को हल करने के लिए पारस्परिक सम्मान के आधार पर विश्वास के माहौल में मुद्दे को सुलझाना चाहता है। यह इलाके भारतीय क्षेत्र का हिस्सा रहे हैं।
इससे पहले केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 8 मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को चीन में कैलाश मानसरोवर मार्ग से जोड़ने वाली एक नई सड़क का उद्घाटन करने के बाद नेपाल ने इसका विरोध किया था और क्षेत्र में सुरक्षा चौकी लगाने की धमकी दी थी। उसके बाद से ही नेपाल द्वारा नया मानचित्र जारी कर एक नए विवाद को जन्म दिया गया।
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