सरकार का नया राहत पैकेज छलावा- कर्ज से नहीं आर्थिक राहत देने से होगी गैर-पंजीकृत गाइड और ट्रेवल एजेंटोंं की असली मदद
वास्तविकता यह है कि देश में रजिस्टर्ड से कहीं अधिक संख्या में अनरजिस्टर्ड गाइड और ट्रेवल एजेंट हैं। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। इनके बारे में सरकार ने कोई ऐलान नहीं किया है और न ही किसी किस्म की राहत की बात की है।
केंद्र सरकार ने अपने नए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत पर्यटन उद्योग के लिए भी कुछ ऐलान किए हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को ऐलान किया कि कोरोना महामारी से पर्यट क्षेत्र पर पड़े असर को कम करने के लिए सरकार ने कई नीतियां बनाई हैं। इसके तहत रजिस्टर्ड टूरिस्ट गाइड और ट्रैवल टूरिज्म स्टेकहोल्डर यानी हितधारकों को राहत दी जाएगी।
उन्होंने ऐलान किया है कि लाइसेंस वाले और रजिस्टर्ड गाइड को सरकार एक लाख रुपए और रजिस्टर्ड ट्रैवल टूरिस्ट एजेंसी को 10 लाख रुपए का कर्ज दिया जाएगा जिसकी 100 फीसदी गारंटी होगी। यह भी ऐलान हुआ कि इस मद में कोई प्रोसेसिंग चार्ज नहीं लिया जाएगा। यह ऐलान भी हुआ कि अगले साल 31 मार्च तक देश में आने वाले पहले 5 लाख पर्यटकों से वीजा फीस नहीं ली जाएगी।
लेकिन सवाल है कि कोरोना महामारी के चलते बेरोजगार हुए असंख्य टूरिस्ट गाइड और ट्रैवल एजेंसियों में काम करने वाले लोगों को कर्ज देकर उनका क्या भला करना चाहती है सरकार? दक्षिण दिल्ली में एक ट्रैवल एजेंसी चलाने वाले एक ट्रेवल एजेंटा का कहना है कि हमें कर्ज नहीं, आर्थिक मदद चाहिए। उनका कहना है कि बीते करीब डेढ़ साल से उनका काम बंद है, परिवार की जिम्मेदारी है, बच्चों के स्कूल की फीस का मुद्दा है, घर-ऑफिस का किराया देना है, ऐसे में कर्ज से क्या मदद होगी। उनका कहना है कि जब काम ही नहीं है, तो कर्ज को वापस कहां से करेंगे। उन्होंने साफ कहा कि, “सरकार को हमारी फिक्र है तो कर्ज के बजाए सीधे आर्थिक राहत देना चाहिए थी।”
इसके अलावा एक और मुद्दा है जो ट्रेवल एजेंट और टूरिस्ट गाइड के सामने है। सरकार ने कहा है कि रजिस्टर्ड गाईड और ट्रेवल एजेंट को ही कर्ज दिया जाएगा। लेकिन वास्तविकता यह है कि देश में रजिस्टर्ड से कहीं अधिक संख्या में अनरजिस्टर्ड गाइड और ट्रेवल एजेंट हैं। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। इनके बारे में सरकार ने कोई ऐलान नहीं किया है और न ही किसी किस्म की राहत की बात की है।
पर्यटन उद्योग सिर्फ गाइड और ट्रेवल एजेंसी पर ही नहीं चलता। इसके साथ बहुत से काम-धंधे जुड़े हैं। मसलन पर्यटन स्थलों के आसपास हैंडीक्राफ्ट और अन्य सामान बेचने वाले लोग, इन जगहों के नजदीक पर्यटकों को कमरे आदि किराए पर देने वाले, पर्यटकों के लिए वाहन चलाने वाले ड्राइवर, होटलों में काम करने वाले और भी बहुत से लोग हैं जो इस महामारी से प्रभावित हुए हैं। लेकिन सरकार ने इन लोगों के लिए किसी किस्म की राहत का ऐलान नहीं किया है।
सरकार को ध्यान देना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग का अहम योगदान होता है। महामारी से पहले के वित्त वर्षों में पर्यटन उद्योग का जीडीपी में योगदान करीब 9 फीसदी था और कुल निवेश में भी इस क्षेत्र का योगदान करीब 6 फीसदी रहा है।
इसके अलावा पर्यटन उद्योग में बडे पैमाने पर महिलाएं काम करती हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को भी पर्यटनसे काफी राहत मिलती है। महामारी में इन तबकों पर भी गंभीर असर पड़ा है और कई समूहों और समुदायों के सामने तो रोजी-रोटी का संकट ही खड़ा हो गया है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक पर्यटन क्षेत्र से करीब 4 करोड़ लोगों की रोजी रोटी सीधे जुड़ी होती है, जिनके बारे में सरकार ने किसी राहत का ऐलान नहीं किया है।
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