गुजरात के आदिवासी और दलित बहुल इलाकों में दिखा भारत बंद का असर, दुकानें बंद रहने के कारण पसरा रहा सन्नाटा
सूरत जिले के उमरपाड़ा कस्बे में दोपहर में दुकानें बंद रहने के कारण सन्नाटा पसरा रहा। जिले के कोसांबा जैसे स्थानों पर, बंद का आह्वान करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों ने दुकान मालिकों से दुकानें बंद करने का आग्रह किया।
अनुसूचित जातियों (एससी) का उप-वर्गीकरण करने संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ कुछ दलित और आदिवासी समूहों के बुधवार को एक दिवसीय 'भारत बंद' के दौरान गुजरात में प्रदर्शनकारियों ने एक मालगाड़ी और सड़कें अवरुद्ध कर दीं।
गुजरात के छोटा उदयपुर, नर्मदा, सुरेंद्रनगर, साबरकांठा और अरावली जैसे जिलों के आदिवासी और दलित समुदाय बहुल इलाकों में बंद का असर देखने को मिला, जहां बाजार बंद रहे।
सुरेंद्रनगर जिले के वाधवन तालुका में प्रदर्शनकारियों ने मालगाड़ी रोक दी और नारेबाजी की। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस मौके पर पहुंची।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को समझाया और करीब डेढ़ घंटे तक जबरन रोके जाने के बाद, मालगाड़ी भावनगर के लिए रवाना हुई।
अधिकारियों ने बताया कि अरावली जिले के भिलोदा और शामलाजी में प्रदर्शनकारियों ने सड़कें अवरुद्ध कर दीं। वहीं, पाटन और अरावली जिले में कई लोगों को हिरासत में लिया गया।
भिलोदा और शामलाजी के मुख्य बाजारों में दुकानें बंद रहीं तथा पुलिस की कड़ी मौजूदगी के बीच समूह ने सड़कों पर प्रदर्शन किया।
साबरकांठा जिले के इदर और विजयनगर कस्बों में भी बंद का असर देखने को मिला। वहां बाजार, स्कूल और कॉलेज बंद रहे तथा अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए काफी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात करने का आदेश दिया।
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के प्रदर्शनकारियों ने रैलियां भी कीं।
सूरत जिले के उमरपाड़ा कस्बे में दोपहर में दुकानें बंद रहने के कारण सन्नाटा पसरा रहा। जिले के कोसांबा जैसे स्थानों पर, बंद का आह्वान करने वाले संगठनों के प्रतिनिधियों ने दुकान मालिकों से दुकानें बंद करने का आग्रह किया। वडोदरा में एससी/एसटी संगठनों ने नारेबाजी करते हुए रैलियां निकालीं।
अहमदाबाद के अमराईवाड़ी इलाके में दलित समुदाय के सदस्यों ने धरना दिया और सड़कें अवरुद्ध कर दीं। अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण संबंधी न्यायालय के फैसले के खिलाफ देशभर के 21 संगठनों ने बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया था। संगठनों का कहना है कि उप-वर्गीकरण से आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा।
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia