हरियाणा में बोल पड़े मुर्दे, खोल दी खट्टर सरकार की पोल, बोले- मुर्दा हम नहीं, ये सरकार है
सभी बुजुर्ग सीएम खट्टर के आवास भी पहुंचे, लेकिन असमंजस में घिरी पुलिस ने संयम बरता। पुलिस को कहीं से निर्देश मिल रहे थे। दरअसल इनकी गिरफ्तारी करने या केस दर्ज करने पर सरकार की और किरकिरी तय थी, क्योंकि ये सभी तो कागजों में मृत दिखा दिए गए लोग थे।
हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में आज मुर्दे बोल रहे थे। वह सिर्फ बोल ही नहीं रहे थे, बल्कि वह यह दास्तान भी सुना रहे कि कैसे खट्टर सरकार ने उन्हें जिंदा ही मार डाला। यह जिंदा मुर्दे हरियाणा के कई जिलों से चंडीगढ़ पहुंचे थे। खट्टर सरकार के लिए यह दृश्य शर्मशार करने वाला था। इन्हें मुर्दा बताकर बुढ़ापा पेंशन काट दी गई। कई ऐसी विधवाएं थीं, जिनसे यह कहा गया कि तुम्हारे पति जिंदा हैं। लिहाजा, तुम्हें पेंशन नहीं मिलेगी। चंडीगढ़ आए इन जिंदा बुजुर्गों में कोई 100 साल का था तो कोई 90 का। कोई 80 साल का था तो कोई 70 का। यह बुजुर्ग सिर्फ प्रशासनिक अराजकता की कहानी नहीं बता रहे थे बल्कि खट्टर सरकार की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा भी बयां कर रहे थे।
हरियाणा में तकरीबन पांच लाख पेंशन इस तरह काट दी गई हैं। यह कहानी राज्य के किसी एक जिले या कस्बे की नहीं है बल्कि गांव-गांव की यही दास्तान है। सरकार के इसके पीछे कुछ और तर्क भी हैं। लेकिन सबसे शर्मनाक बात तो यह है कि बड़ी तादाद में जिंदा लोगों को मुर्दा बताकर उनकी पेंशन काट दी गई है। महज 2500 रुपये मासिक मिलने वाली इस पेंशन के लिए यह बुजुर्ग दफ्तरों की चौखट पर दस्तक देते-देते थक चुके हैं। अधिकरियों को खुद के जिंदा होने के सबूत देते-देते परेशान हो चुके हैं।
चंडीगढ़ में आए यह बुजुर्ग खुद चीख-चीख कर कह रहे थे कि खट्टर साहब देख लो, हम अभी जिंदा हैं। मुर्दा हम नहीं, सरकार है। कई ऐसी विधवा महिलाएं थीं, जो बता रही थीं कि उनसे कहा गया कि तुम्हारे पति जिंदा हैं। लिहाजा, तुम्हें पेंशन नहीं मिलेगी। उन महिलाओं का कहना था कि हमारे पति जिंदा हैं तो हमें लाकर दे दो। फिर हमें तुम्हारी पेंशन नहीं चाहिए। किसी महिला से कहा गया कि तुमने दूसरी शादी कर ली है, इसलिए तुम्हें पेंशन नहीं मिलेगी। उस महिला का कहना था कि दूसरी शादी कर ली है तो हमारे पति हमें लाकर दे दो।
यह सभी बुजुर्ग मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आवास भी पहुंचे। वहां तैनात पुलिस भी बड़ी असमंजस में दिखी। इनकी गिरफ्तारी करने या केस दर्ज करने पर सरकार की और किरकिरी तय थी, क्योंकि यह तो सभी कागजों में मृत दिखा दिए गए लोग थे। मुर्दों की गिरफ्तारी या केस दर्ज करने पर फजीहत तय थी। पुलिस को कहीं से निर्देश मिल रहे थे। लिहाजा, पुलिस ने संयम बरता।
इसी तरह पिछले दिनों 102 साल के बुजर्ग दादा दुलीचंद ने पेंशन कटने के बाद रोहतक में विरोध स्वरूप बारात निकाली थी और दादा दुलीचंद द्वारा रथ पर बैठकर निकाली गई अनोखी बारात ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं।
इन बुजुर्गो, महिलाओं के साथ चंडीगढ़ पहुंचे नवीन जयहिन्द ने कहा कि सरकार ने इन सबको कागजों में मृत दिखाकर इनकी पेंशन काट दी है। जयहिंद ने कहा कि सरकार प्रदेश के 5 लाख बुजर्गों को काटी गई पेंशन जल्द से जल्द दे नहीं तो मुख्यमंत्री अपनी खुद की और अपने विधायकों और सांसदों की भी तनख्वाह बंद करवाएं। पेंशन कटने का क्या दर्द होता है यह मुख्यमंत्री या विधायक तभी समझ सकते हैं। इतनी बड़ी उम्र के बुजर्ग दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं।
नवीन जयहिंद ने कहा कि मुख्यमंत्री कबीर भक्त होने का झूठा ढोंग कर रहे हैं और अपने आवास का नाम कबीर कुटीर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री कबीर के नहीं कंस के भक्त हैं, क्योंकि कबीर के दरवाजे किसी के लिए बंद नहीं थे। वहीं, कंस के दरवाजे दूसरों के लिए बंद होते थे। इसलिए मुख्यमंत्री को आवास का नाम कबीर कुटीर की जगह कंस कुटीर रखना चाहिए। आवास का नाम कबीर कुटीर रखने से आवास कबीर कुटीर नहीं बन सकता। मुख्यमंत्री आवास का नाम कबीर के नाम पर रखकर कबीर जैसे संत को भी बदनाम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि दुष्यंत चौटाला की जन नायक जनता पार्टी के बड़े चुनावी वायदों में एक यह भी था कि बुजुर्गों की पेंशन बढ़ाकर 5100 रुपये करेंगे। अब मुख्यमंत्री से जब इस बाबत सवाल किया जाता है तो वह इसे जेजेपी के मत्थे मढ़ कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
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