कोरोना संकट का काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर साया, खौफ से मजदूर-एक्सपर्ट गायब, मंद पड़ी काम की चाल
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने फिर कॉरिडोर पर संकट के बादल ला दिये। होली की छुट्टी में गये न तो मजदूर लौटे और न ही दूसरे प्रांतों से आने वाले एक्सपर्ट आ पाये। हालांकि विगत दिनों में काफी सुरक्षा के बीच कॉरिडोर के कार्य को जारी रखा गया।
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर प्रोजेक्ट पर कोरोना का संकट मंडरा रहा है। काम शुरू होने के बाद दो बार प्रोजेक्ट बाधित हुआ है। छुट्टी पर गांव गये मजदूर अब तक नहीं लौटे और बाहर से मजदूर और एक्सपर्ट भी नहीं आ रहे हैं। इससे एक अप्रैल से अब तक यानी डेढ़ माह में केवल 2.5 फीसदी काम हो पाया है। लिहाजा, दिए गये समय में परियोजना का काम पूरा होना मुश्किल दिखाई दे रहा है। कोरोना संक्रमण से श्री काशी विश्वनाथ धाम का काम भी प्रभावित हुआ है। बावजूद इसके गंगा घाट पर जेटी का कार्य पूर्ण हो चुका है और अब फिनिशिंग का काम शुरू होना है। वहीं धाम क्षेत्र की 23 में से 19 इमारतों पर कार्य चल रहा है।
काशी विश्वनाथ मंदिर से लालिता घाट और मणिकर्णिका घाट के बीच में करीब 50 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में निमार्णाधीन काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) का शिलान्यास सात मार्च 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। 600 करोड़ की परियोजना पर गुजरात की कंसल्टेंट कम्पनी एचसीपी और कार्यदायी एजेंसी पीएसपी ने युद्धस्तर पर काम शुरू किया। तमाम बाधाओं को पार पाते हुए पिछले वर्ष मार्च तक 30 फीसदी तक काम पूरा हो गया था। पूर्ण लॉकडाउन लगने के बाद काम पूरी तरह ठप हो गया। जून में अनुमति मिलते ही परियोजना ने रफ्तार पकड़ी तो 30 मार्च 2021 तक 50 फीसदी काम पूरा हो गया था। पहले अगस्त और फिर लॉकडाउन के बाद अक्तूबर- 2021 में काम पूरा करने की शासन ने समयसीमा निर्धारित कर दी थी।
इस वर्ष मार्च के बाद अचानक संक्रमण की दूसरी लहर ने फिर कॉरिडोर पर संकट के बादल ला दिये। होली की छुट्टी में गये न तो मजदूर लौटे और न ही दूसरे प्रांतों से आने वाले एक्सपर्ट आ पाये। हालांकि विगत दिनों में काफी सुरक्षा के बीच कॉरिडोर के कार्य को जारी रखा गया। हर हफ्ते जांच और सोशल डिस्टेंसिंग के बीच सिविल व बेस वर्क जारी है, लेकिन कार्य में अपेक्षित गति नहीं मिलने का असर परियोजना की डेडलाइन पर पड़ने लगा है।
सीईओ का कहना है कि वर्तमान में निर्माण एजेंसी प्रोजेक्ट की रिपोर्ट तैयार करती है, लेकिन आंशिक कर्फ्यू हटने के बाद पूरे प्रोजेक्ट की सर्वे रिपोर्ट तैयार होगी। इसमें एक-एक भवन व ढांचे का कार्य प्रगति का आकलन और कितना समय लग सकता है, यह सब समायोजित किया जाएगा।
मंडला आयुक्त दीपक अग्रवाल के अनुसार, काशी विश्वनाथ धाम परियोजना के काम को देखने वाली कंपनी के लोग भी कोविड की चपेट में आग गये थे। इसके अलावा बड़ी संख्या में मजदूर दूसरे जगह के हैं जो कोरेाना के चलते अभी कुछ लौटे नहीं, कुछ हैं भी तो वह गाइडलाइन के अनुसार दूरी बनाकर कम कर रहे हैं। इससे कार्य प्रभावित हो रहा है।
पीडब्ल्यूडी के मुख्य अधिशासी अभियंता संजय गोरे ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम का काम अगस्त तक प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना की लहर के कारण अब नई डेडलाइन 15 नवंबर तक प्रस्तावित है। अगर स्थितियां ठीक रहीं तो निर्धारित समय तक काम पूर्ण हो जाएगा। इसके अलावा मंदिर के मुख्य परिसर में पत्थर लगाने का काम चल रहा है। जून तक मंदिर में पत्थर लगाने काम पूरा हो जाएगा।
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