तेलंगाना: बदलाव की बयार, नई सरकार ने शुरुआती दिनों में ही वादे पूरे कर जगा दी हैं आशाएं
तेलंगाना में नवनिर्वाचित सरकार के शुरुआती प्रयासों में उन घोषणाओं को साकार करने की दिशा में कदम उठा जा रहे हैं जिनका चुनाव के दौरान वादा किया गया था। इसके अलावा भी कई ऐसे काम हुए हैं जिससे तेलंगाना वासियों में उम्मीद जगी है। इस सप्ताह की तेलंगाना डायरी
'ऊर्जा' की राजनीति
यह भारत का सबसे युवा प्रदेश है, लेकिन यहां किसानों की पीड़ा, अनियमित बिजली सप्लाई और बदतर सिंचाई सुविधाओं का लंबा इतिहास रहा है। नवंबर में यहां जब विधानसभा चुनाव हुए, तो ये मुद्दे फिर उभर आए। नई कांग्रेस सरकार का गठन हुआ, तो उसने समीक्षा बैठक कर ऊर्जा क्षेत्र को लेकर श्वेत पत्र जारी किया।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, 2014 में जब तेलंगाना राज्य का गठन हुआ था, तो राज्य सरकार पर 1,281 करोड़ रुपए का कर्ज था। अब यह आंकड़ा 81,000 करोड़ तक का हो गया है। यहां तक कि नगरपालिकाएं और नगर निगम भी बिजली वितरण कंपनियों को बकाये का भुगतान नहीं कर पा रही हैं। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के अनुसार, सरकार ने 2014 से अन्य राज्यों से 30,000 करोड़ रुपये कीमत की बिजली खरीदी। सच्चाई उस किस्म की नहीं है जैसा सत्ता से बाहर हो गई बीआरएस (भारत राष्ट्र समिति) सरकार दावा कर रही थी।
अब कांग्रेस सरकार के सामने चुनौती हैः अपने चुनावी वादों को पूरा करने के लिए संसाधनों को पहचानना। चुनाव के दौरान सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया था जिस पर हर साल 4,800 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। इसके साथ ही किसानों से 24/7 बिजली आपूर्ति का वादा किया गया था। इस पर 10,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त वार्षिक खर्च करने होंगे। किसानों को मुफ्त बिजली का मसला भावनात्मक अभियान था।
बीआरएस का दावा था कि उन्होंने कृषि क्षेत्र को 24/7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की है जबकि नई सरकार ने कहा है कि सिर्फ 12-14 घंटे इसकी आपूर्ति की गई।
पूर्व नौकरशाह और लोकतांत्रिक तथा चुनाव सुधारों के क्षेत्र में काम कर रहे राष्ट्रीय एनजीओ- लोक सत्ता के संस्थापक एन जयप्रकाश नारायण का कहना है कि 'कृषि पंप सेट्स के लिए मीटर लगाने और मुफ्त बिजली लाभ के लिए अधिकतम उपभोग सीमा तय करने के काम बिजली सेक्टर समस्याओं से निबटने के लिए शुरुआती बिंदु बनाने होंगे।'
प्रजा (प्रगति) भवन
प्रगति भवन का उद्घाटन 2016 में किया गया था। इस महीने इसका नाम बदलकर ज्योतिराव फुले प्रजा भवन कर दिया गया। यह उप मुख्यमंत्री मल्लू भट्टी विक्रमार्क का सरकारी निवास होगा। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने जुबिली हिल्स एरिया के अपने ही घर में रहने और सचिवालय में मुख्यमंत्री कार्यालय से काम करने का निश्चय किया है। प्रगति भवन पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का आधिकारिक निवास था। राव कभी सचिवालय गए ही नहीं।
कांग्रेस सरकार ने प्रगति भवन के चारों ओर लोहे की बाड़ हटा दी है। इसने व्यस्त सड़क का अतिक्रमण कर रखा था। इससे यह भवन अब खुला हुआ हो गया है।
इस भवन की शुरुआत 2004 में अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के लिए कैंप ऑफिस के तौर पर हुई थी। तेलंगाना के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर केसीआर ने 49 करोड़ की लागत से इसका नवीनीकरण किया था और इसे मुख्यमंत्री के सरकारी निवास में बदलने से पहले वास्तुशास्त्र के अनुरूप करवाया था।
प्रगति भवन वस्तुतः पांच भवनों का कॉम्प्लेक्स है- निवास, मुख्यमंत्री कार्यालय, जनहित (मतलब, मीटिंग हॉल), पुराना मुख्यमंत्री आवास गेस्ट हाउस और सुरक्षा के लिए महानिरीक्षक (आईजी) का कार्यालय। यह ऑफिसर्स कॉलोनी में 10 आईएएस अधिकारियों के क्वार्टरों और 24 चपरासी क्वार्टरों को ध्वस्त कर बनवाया गया था।
'उड़ते तेलंगाना' पर नकेल
अस्वाभाविक तौर पर नए मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने पद संभालते ही ऐसा सख्त रुख दिखाया कि लोगों को 2016 की बॉलीवुड फिल्म 'उड़ता पंजाब' की याद आ गई जिसमें सीमावर्ती राज्य में नशीले पदार्थां की भयावह स्थिति दिखाई गई थी। इसमें पंजाबी युवा को कथित तौर पर खराब तरीके से दिखाया गया था इसलिए इस पर राजनीतिक विवाद हो गया था। फिर भी, इसमें इससे समाज को हो रहे नुकसान की बात ठीक तरीके से सामने आई थी।
तेलंगाना में भी नशीले पदार्थों को लेकर स्थिति खराब है, यह चेतावनी देते हुए रेड्डी ने इस बात पर जोर दिया कि 'मेरी सरकार की प्राथमिकता तेलंगाना और हैदराबाद को नशीले पदार्थों से मुक्त बनाना होगा।'
मुख्यमंत्री बनते ही शुरुआती कामों में उन्होंने के. श्रीनिवास रेड्डी को हैदराबाद पुलिस का नया आयुक्त नियुक्त किया। नए पुलिस आयुक्त ने भी शुरुआती बयानों में ही चेतावनी दी कि 'मैं नशीले पदार्थों के गिरोहों और नशीले पदार्थां का व्यापार करने वालों को कहना चाहता हूं कि बेहतर हो, वे बोरिया-बिस्तर समेट लें। वे हमारा शहर, हमारा राज्य छोड़ दें। हम तुम्हें बर्दाश्त नहीं करने जा रहे, चाहे तुम कितने भी बड़े हो।'
2017 में हैदराबाद पुलिस ने स्टिंग ऑपरेशन कर शहर में नशीले पदार्थ बेचने-खरीदने वालों के बड़े नेटवर्क का खुलासा किया था। कई प्रमुख तेलुगु फिल्म वाले, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों, आईटी प्रोफेशनल के साथ-साथ स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी उनके ग्राहक पाए गए थे। अपराध के कई अड्डे भी सामने आए थे लेकिन मसले को धीरे से दबा दिया गया। क्या नई सरकार इस स्थिति को बदल पाएगी?
वाईएसआर वाली शैली
नए मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के कामकाज के तौर-तरीकों को देखकर राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लोकप्रिय पूर्ववर्ती स्वर्गीय वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की शैली की याद आ गई। उनका जनता के साथ तादात्म्य था और गरीबों को राहत पहुंचाने वाली उनकी नीतियां इलाकाई राजनीतिक चर्चा में अब भी रहती हैं। राजनीतिक विश्लेषक और लेखक के. रमेश बाबू कहते भी हैं कि 'रेवंत (रेड्डी) के कामकाज की शैली और वह जिस तरह की राजनीति करते हैं, वे वाईएसआर की याद दिलाने वाली हैं।'
वाईएसआर की तरह रेवंत रेड्डी ने भी वैसी पार्टी में ऊर्जा और उत्साह भर दिया है जो आंतरिक राजनीति से दलदल में धंस गई थी। उनके आक्रामक अभियान, भीड़ के साथ तादात्म्य बनाने की उनकी क्षमता, लोकप्रिय नीतियों पर उनका न थकने वाला फोकस और प्रशासन का विकेन्द्रीकरण वाईएसआर से काफी कुछ मिलता-जुलता है। वाईएसआर के नक्शेकदम पर रेवंत रेड्डी ने अपने कैम्प कार्यालय में प्रजा दरबार (जनता से मुलाकात का कार्यक्रम) शुरू कर दिया है जिनमें वह आम लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनका निदान करने का प्रयास करते हैं।
2004 में शपथ ग्रहण के तुरंत बाद वाईएसआर ने किसानों को मुफ्त बिजली देने-संबंधी अपनी पहली फाइल पर हस्ताक्षर किए थे। यह काफी लोकप्रिय नीति रही थी और बाद की सरकारों ने इसका पालन किया। रेवंत रेड्डी की पहली दो फाइलें भी कांग्रेस की चुनावी गारंटियों के कार्यान्वयन-संबंधी ही थी- महिलाओं के लिए निःशुल्क बस यात्रा, विधवाओं और एकल महिलाओं को पेंशन तथा नगद अदायगी और किसानों के लिए वित्तीय मदद, मुफ्त बिजली और ऋणमुक्ति। उन्होंने शारीरिक तौर पर विकलांग महिलाओं को रोजगार देने को भी प्राथमिकता में रखा। चुनाव के दौरान व्यक्तिगत तौर पर उन्होंने यह वादा किया था।
शैक्षिक क्षेत्र में महिलाएं आगे
तेलंगाना की महिलाओं ने उच्चतर शिक्षा के दौरान पुरुषों को काफी पीछे छोड़ देना जारी रखा है। कॉमन पोस्ट ग्रैजुएट इंट्रेंस टेस्ट (सीपीजीईटी) डेटा बताते हैं कि इस साल 15,018 महिलाओं ने विभिन्न विषयों में प्रवेश पाया और पुरुष कई में तीसरे पायदान पर रहे। 2023-24 के लिए हुए कुल 20,353 नामांकनों में महिलाओं को 74 प्रतिशत सीटें मिलीं जबकि पुरुषों को महज 26 फीसदी।
पिछले साल भी पोस्टग्रैजुएट पाठ्यक्रमों में महिलाओं की संख्या 72.2 प्रतिशत थी। उनलोगों को बायोलॅाजिकल साइसेंस, कमिस्ट्री, मैथमेटिक्स, स्टैटिस्टिक्स और कम्प्यूटर साइंस समेत कई पाठ्यक्रमों में अधिक नामांकन मिले।
इस साल के ग्रैजुएट कोर्सों में भी यही स्थिति रही। डिग्री ऑनलाइन सर्विसेस तेलंगाना (दोस्त) योजना के जरिये नामांकन वाले दो लाख से अधिक विद्यार्थियों में 53 प्रतिशत लड़कियां थीं जबकि पुरुष नामांकन 47 प्रतिशत।
अधिकारी दोनों कोर्सों में महिलाओं की अधिक संख्या का श्रेय आवासीय सरकारी कॉलेजों की स्थापना को देते हैं। 85 वेलफेयर आवासीय डिग्री कॉलेजों में से लगभग 50 महिलाओं के लिए हैं। अधिकारी शिक्षा के महत्व को लेकर बढ़ती जनचेतना को भी इसका श्रेय देते हैं।
बिरयानी को लेकर प्रेम
हैदराबाद को भारत की बिरयानी राजधानी भी कहा जाता है। इस साल स्विगी ऐप पर हर छठा ऑर्डर बिरयानी का रहा। इस साल का ट्रेन्ड जारी करने वाले स्विगी ने बताया कि बिरयानी लगातार आठवें साल ऑनलाइन ऑर्डर किया जाने वाला भारत का पसंदीदा फूड रहा। हर सेंकेंड इसके 2.5 प्लेट का ऑनलाइन ऑर्डर किया गया। इस सूची में हैदराबाद सबसे ऊपर रहा। यहां हर मिनट 15 प्लेट ऑर्डर किए गए, मतलब हर रोज लगभग 21,600 प्लेट।
हैदराबाद के एक उपभोक्ता ने 1,633 ऑर्डर, मतलब प्रतिदिन चार से अधिक बिरयानी का ऑर्डर देकर नया रिकॉर्ड ही बना दिया! इसने नाश्ता, लंच, डिनर, बीच के स्नैक्स और अपने अतिथियों के लिए भी अपना यही पसंदीदा फूड ऑर्डर किया।
बिरयानी पिछले 400 साल से हैदराबादी पाक शैली में लोकप्रिय रही है। हैदराबादी दम बिरयानी निजामों के रसोई घरों से निकली है और इसमें हैदराबादी और मुगलई तकनीकों का मिश्रण है।
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