अभी भारत में ही रहेंगी तसलीमा नसरीन, बोलीं- सुबह गृहमंत्री को ट्वीट किया और शाम को परमिट मिल गया

बांग्लादेश से 1994 में निष्कासित होने के बाद 2005 से (2008 से 2010 को छोड़कर) भारत में ही रह रहीं तसलीमा नसरीन का भारत में निवास का परमिट जुलाई में खत्म हो गया था। उन्होंने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री को इस संदर्भ में ट्वीट किया था।

अभी भारत में ही रहेंगी तसलीमा नसरीन, बोलीं- सुबह गृहमंत्री को ट्वीट किया और शाम को परमिट मिल गया
अभी भारत में ही रहेंगी तसलीमा नसरीन, बोलीं- सुबह गृहमंत्री को ट्वीट किया और शाम को परमिट मिल गया
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पीटीआई (भाषा)

बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन के भारत में निवास के परमिट की अवधि बढ़ा दी गई है। वह अभी भारत में ही रहेंगी। अवधि बढ़ाने की मंजूरी देने के लिए तस्लीमा ने गृहमंत्री अमित शाह का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘सोमवार को सुबह ही मैंने टवीट किया और शाम को मुझे परमिट मिल गया।’’ बांग्लादेश से 1994 में निष्कासित होने के बाद 2005 से (2008 से 2010 को छोड़कर) भारत में रह रही तसलीमा का भारत में निवास का परमिट जुलाई में खत्म हो गया था। उन्होंने सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री को इस संदर्भ में ट्वीट किया था।

परमिट की अवधि बढ़ाए जाने से राहत महसूस कर रही तसलीमा ने कहा कि वह पिछले तीन महीने से इसे लेकर काफी परेशान थीं। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक ट्वीट ने मेरी मदद की और अमित शाह जी ने उसी दिन मुझे परमिट दिला दिया। मैं उन्हें 'एक्स' पर धन्यवाद भी दे चुकी हूं। सोमवार को सुबह मैंने टवीट किया और शाम को मुझे परमिट मिल गया।’’ भारत सरकार ने सोमवार को उनकी अपील के बाद उनका ‘रेसिडेंस परमिट’ बढ़ाये जाने की जानकारी उन्हें दी।


तसलीमा ने कहा, ‘‘तीन महीने हो गए थे मेरा वीजा एक्सपायर हुए। मैं चिंतित थी कि इसमें देर हो गई। मुझे लगा कि सरकार मेरा वीजा आगे बढाना नहीं चाहती है। मैं सोच रही थी कि अब मैं कहां जाऊंगी और कहां रहूंगी ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेरे पास आखिरी विकल्प था कि गृहमंत्री को सीधे ट्वीट करके पूछूं कि क्या मुझे आगे रहने की अनुमति नहीं दी जायेगी।’’ उन्होंने बताया कि 2004 से 2008 तक उनका वीजा छह महीने के लिए बढ़ता था, लेकिन उसके बाद से एक साल के लिए बढ़ाया जाता रहा है।

अपने विवादित लेखन के लिये सुर्खियों में रहने वाली 62 वर्षीय लेखिका ने कहा कि हमेशा उनका ‘रेसिडेंस परमिट’ (प्रक्रिया के तहत) अपने आप बढ़ जाता है, लेकिन पहली बार तीन माह लग गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैने गृह मंत्रालय में कई अधिकारियों से बात की। किसी ने ईमेल करने को बोला। मैंने दो महीने पहले ईमेल भेज दिया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला था। मैने मीडिया में भी अपने कई दोस्तों से पूछा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया।’’


‘लज्जा’ फेम लेखिका ने कहा, ‘‘इस्लामी कट्टरपंथी और वामपंथी हमेशा से मुझ पर बीजेपी समर्थक होने का आरोप लगाते आए हैं, लेकिन असल में तो मैं सरकार में किसी को जानती नहीं हूं। मैं खुद को बहुत असहाय और कमजोर महसूस कर रही थी और किसी का सहारा नहीं था।’’तसलीमा ने फेसबुक द्वारा उनका खाता ‘मेमोरियलाइज’ (मरने के बाद जो किया जाता है) किये जाने और बार-बार प्रयासों के बावजूद उसे बहाल नहीं किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।

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