तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्र सरकार की निंदा की, बजट को देश से लिया गया ‘बदला’ बताया

स्टालिन ने बजट को बीजेपी द्वारा देश से लिया गया ‘‘बदला’’ बताते हुए चेतावनी दी कि ‘‘गलतियों पर गलतियां’’ करने के कारण पार्टी को आगे भी चुनावों में हार का सामना करना पड़ेगा।

फोटो: PTI
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नवजीवन डेस्क

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट को लेकर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर शनिवार को तीखा हमला किया। स्टालिन ने बजट को बीजेपी द्वारा देश से लिया गया ‘‘बदला’’ बताते हुए चेतावनी दी कि ‘‘गलतियों पर गलतियां’’ करने के कारण पार्टी को आगे भी चुनावों में हार का सामना करना पड़ेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को नयी दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के अपने फैसले के बारे में स्टालिन ने कहा कि वह बजट में तमिलनाडु के प्रति दर्शाये गए ‘‘भेदभावपूर्ण रवैये’’ के कारण न्याय की मांग के साथ जन मंच पर बोलने के लिए ‘‘मजबूर’’ हैं।

स्टालिन ने एक बयान में कहा कि 37,000 करोड़ रुपये की आपदा राहत और चेन्नई मेट्रो रेल के दूसरे चरण के लिए निधि दिए जाने की राज्य की अपील पर ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ‘‘राजनीतिक मकसद से सरकार चला रही है।’’

स्टालिन ने कहा, ‘‘23 जुलाई को पेश किया गया बजट इसका सबूत है। हाल ही में हुए संसदीय चुनावों में विभिन्न राज्यों की जनता ने जनविरोधी बीजेपी को हराया। केंद्रीय वित्त मंत्री (निर्मला सीतारमण) द्वारा पेश किया गया बजट बीजेपी का बहिष्कार करने वाले राज्यों और लोगों के खिलाफ बदले की भावना से किया गया काम लगता है।”

उन्होंने कहा, “सभी भारतीयों के कल्याण के लिए बजट बनाने के बजाय सीतारमण ने ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन को वोट देने वालों से बदला लेने के लिए बजट तैयार किया है।’’ स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार तमिलनाडु की लगातार उपेक्षा कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र ने सर्व शिक्षा अभियान के लिए जारी की जाने वाली धनराशि रोक रखी है।

स्टालिन ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बात पर अड़ी हुई है कि वह एनईपी (राष्ट्रीय शिक्षा नीति) लागू करने पर सहमति जताने के बाद ही धनराशि जारी करेगी।

उन्होंने राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले स्टांप शुल्क में कटौती की घोषणा पर कहा कि यह कदम राज्यों से परामर्श किए बिना उठाया गया है। स्टालिन ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली ने पहले ही राज्यों से कराधान के अधिकार छीन लिए हैं।

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