यूपी पुलिस में 'आउटसोर्सिंग' पर अखिलेश का तंज- बीजेपी कहीं सरकार को ही आउटसोर्स न कर दे

अखिलेश ने कहा कि कार्यवाहक डीजीपी के बाद अब कुछ पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न तो उसकी कोई जवाबदेही होगी और न ही गोपनीय एवं संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा।

यूपी पुलिस में 'आउटसोर्सिंग' पर अखिलेश का तंज- बीजेपी कहीं सरकार को ही आउटसोर्स न कर दे
यूपी पुलिस में 'आउटसोर्सिंग' पर अखिलेश का तंज- बीजेपी कहीं सरकार को ही आउटसोर्स न कर दे
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नवजीवन डेस्क

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश पुलिस में लिपिकों की कथित रूप से आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती किए जाने के संबंध में जारी एक पत्र पर तंज करते हुए गुरुवार को कहा कि बीजेपी किसी दिन कहीं ‘सरकार’ को ही आउटसोर्स न कर दे।

एसपी अध्यक्ष ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर की गई एक टिप्पणी में कहा, "एक-के-बाद-एक कार्यवाहक डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) के बाद अब कुछ पुलिस सेवाओं की आउटसोर्सिंग पर विचार किया जा रहा है। ठेके पर पुलिस होगी तो, न तो उसकी कोई जवाबदेही होगी और न ही गोपनीय एवं संवेदनशील सूचनाओं को बाहर जाने से रोका जा सकेगा।" उन्होंने पूछा कि "बीजेपी सरकार जवाब दे कि जब पुलिस का अपना भर्ती बोर्ड है तो बाक़ायदा सीधी स्थायी नियुक्ति से सरकार भाग क्यों रही है?"

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस मामले पर तल्ख टिप्पणी करते हुए अपने संदेश में आगे कहा, "पुलिस सेवा में भर्ती के इच्छुक युवाओं की ये आशंका है कि इसके पीछे आउटसोर्सिंग का माध्यम बनने वाली कंपनियों से ‘काम के बदले पैसा’ लेने की योजना हो सकती है क्योंकि सरकारी विभाग से तो इस तरह पिछले दरवाज़े से ‘पैसा वसूली’ संभव नहीं है।’’


उन्होंने कहा, ‘‘वह अपने आरोप के आधार के रूप में कोरोना वैक्सीन बनाने वाली प्राइवेट कंपनी का उदाहरण दे रहे हैं, जिसे बीजेपी ने नियम विरूद्ध जाते हुए, वैक्सीन बनाने वाली एक सरकारी कंपनी के होते हुए भी, वैक्सीन बनाने का ठेका दिया और उससे चंदा वसूली की।" उन्होंने कहा, "पुलिस भर्ती परीक्षा के पेपर लीक से आक्रोशित युवाओं में इस तरह की ‘पुलिस सेवा की आउटसोर्सिंग’ की ख़बर से और भी उबाल आ गया है। आउटसोर्सिंग का ये विचार तत्काल त्याग दिया जाए और यूपी के युवाओं को नियमित, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सीधी नियुक्ति प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी दी जाए। बीजेपी कहीं किसी दिन ‘सरकार’ ही आउटसोर्स न कर दे।"

दरअसल, पिछली 11 जून को पुलिस उपमहानिरीक्षक (स्थापना) प्रभाकर चौधरी के हस्ताक्षर से राज्य के सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जारी एक पत्र में विभाग के कार्यों में हो रही लगातार वृद्धि को देखते हुए संवर्ग में स्वीकृत पदों के अतिरिक्त सहायक उप निरीक्षक (लिपिक) सहायक उप निरीक्षक (लेखा) और उप निरीक्षक (गोपनीय) के पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए सेवाएं लिए जाने का प्रस्ताव किया गया था और इस बारे में अधिकारियों से उनकी राय मांगी गई थी।


हालांकि राज्य पुलिस ने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल से गुरुवार को दी गई जानकारी में बताया है कि वह पत्र 'त्रुटिवश' जारी गया था जिसे अब निरस्त कर दिया गया है। राज्य पुलिस ने कहा, "चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की व्यवस्था पूर्व से प्रचलित है। त्रुटिवश चतुर्थ कर्मचारियों के स्थान पर मिनिस्टीरियल स्टॉफ के लिए पत्र जारी हो गया। उसे निरस्त कर दिया गया है। इस प्रकार का कोई भी प्रकरण पुलिस विभाग और शासन स्तर पर विचाराधीन नहीं है।"

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