सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की टीकाकरण नीति पर उठाए सवाल, पूछा- कब और कितनी वैक्सीन खरीदी, डिटेल में मांगा जवाब
देश में 18 से 44 साल के लोगों को वैक्सीन लगाने की केंद्र सरकार की नीति को सुप्रीम कोर्ट ने तर्कहीन बताया है। वैक्सीनेशन को जरूरी बताते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि इस वर्ग के लोग न केवल संक्रमित हो रहे हैं, बल्कि गंभीर रूप से बीमार भी हो रहे हैं।
भारत में कोरोना महामारी पर नियंत्रण पाने के लिए टीकाकरण अभियान लगातार सवालों के घेरे में है। वैक्सीन और प्रबंधन की कमी की वजह से कई जगहों पर वैक्सीनेशन सेंटर्स बंद करने पड़े हैं, जबकि कई जगह तो खुले ही नहीं। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र की टीकाकरण नीति पर सवाल उठा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बुधवार को टीकाकरण पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को टीकाकरण नीति के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन की खरीद की भी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने कहा कि वैक्सीन कब-कब और कितनी खरीदी गई, इस संबंध में कोर्ट को पूरी जानकारी विस्तार के साथ दी जाए। केंद्र को अब तक सभी तरह की कोरोना वैक्सीन की खरीदारी को लेकर भी पूरी जानकारी देनी होगी। कोर्ट ने इन सवालों पर केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 2 हफ्ते का वक्त दिया है।
इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र से टीकाकरण अभियान के पहले तीन चरणों में पात्र व्यक्तियों के मुकाबले टीका लेने वाली (एक डोज और दोनों डोज लेने वाले) आबादी के प्रतिशत का आंकड़ा भी मांगा है। इसमें टीका लगवाने वाली शहरी आबादी के साथ ही टीका लगवाने वाली ग्रामीण आबादी के प्रतिशत का आंकड़ा भी मांगा गया है।
इसके अलावा कोर्ट ने ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमायकोसिस के इलाज के लिए दवा की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की भी जानकारी मांगी है। इसके साथ ही कोर्ट ने फेज 1, 2 और 3 के जरिए केंद्र सरकार शेष आबादी का टीकाकरण कैसे और कब करना चाहती है, इसकी रूपरेखा भी मांगी है।
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