बुलडोजर एक्शन पर SC का बड़ा फैसला, FIR पर नहीं गिरा सकते घर, दिशानिर्देशों का पालन किए बिना नहीं होगी तोड़फोड़

कोर्ट ने कहा कि किसी का भी घर उसके सपने की तरह होता है। सिर्फ किसी के आरोपी या दोषी होने के आधार कर घर को नहीं गिराया जा सकता है। घर ही उस व्यक्ति की अंतिम सुरक्षा होता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि मनमाने ढंग से घर गिराना कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने कहा कि किसी का भी घर उसके सपने की तरह होता है। सिर्फ किसी के आरोपी या दोषी होने के आधार कर घर को नहीं गिराया जा सकता है। घर ही उस व्यक्ति की अंतिम सुरक्षा होता है। साथ ही कोर्ट राज्यों को सख्त हिदायत दी है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों में कानून का राज होना चाहिए।

कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को यह पता हो कि उनकी संपत्ति को बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता। कोर्ट ने कहा कि अगर सरकारी अधिकारी कानून हाथ में लेकर इस प्रकार का एक्शन लेते हैं, उन्हें जवाबदेह बनाया जाए। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मनमाने ढंग से संपत्ति पर बुलडोजर चलवाने वाले अधिकारी इसके लिए जवाबदेह होंगे। 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई ने कवि प्रदीप की एक कविता का हवाला दिया और कहा कि घर सपना है, जो कभी न टूटे। एक घर केवल एक संपत्ति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के लिए परिवार की सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में हमने सभी दलीलों को सुना है। लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर विचार किया। 


बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश.

  • घर को सिर्फ इसलिए नहीं तोड़ सकते क्योंकि कोई व्यक्ति आरोपी है। राज्य आरोपी या दोषी के खिलाफ मनमानी कार्रवाई नहीं कर सकता।

  • बुलडोजर एक्शन सामूहिक दंड देने के जैसा है, जिसकी संविधान में अनुमति नहीं है।

  • बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद तस्वीर नहीं है।

  • बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं, नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद होना चाहिए।

  • अगर कार्यपालिका मनमाने तरीके से किसी नागरिक के घर को इस आधार पर ध्वस्त करती है कि उस पर किसी अपराध का आरोप है तो यह संविधान कानून का उल्लंघन है

  • कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे

  • अधिकारियों को इस तरह के मनमाने तरीके से काम करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए

  • आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे।

  • विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए

  • आदेश में यह जरूर नोट किया जाना चाहिए कि बुलडोजर एक्शन की जरूरत क्यों है

  • अगर अवैध तरीके से इमारत गिराई गई है, तो अधिकारियों पर अवमानना ​​की कार्रवाई की जाएगी और उन्हें हर्जाना देना होगा

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