महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार तक टली सुनवाई, कोर्ट ने सरकार बनाने से जुड़े सभी दस्तावेज किए तलब
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान विपक्ष की ओर से कोर्ट में पेश कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि राज्यपाल केंद्र के निर्देश पर काम कर रहे हैं। राष्ट्रपति शासन खत्म करने की सिफारिश, कैबिनेट बैठक और राष्ट्रपति के दस्तखत कब हुए इसकी टाइम लाइन तलब की जाए।
सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र पर सोमवार तक के लिए सुनवाई टल गई है। कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने सरकार बनाने से जुड़े सभी दस्तावेज तलब किए हैं। अब मामले की सुनवाई सोमवार सुबह 10.30 बजे फिर होगी। सुनवाई के दौरान विपक्ष की ओर से जोरदार दलील दी गई है। कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि राज्यपाल केंद्र के निर्देश पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति शासन खत्म करने की सिफारिश, कैबिनेट बैठक और राष्ट्रपति के दस्तखत कब हुए इसकी टाइम लाइन तलब की जाए।
सिब्बल ने कहा, “24 अक्टूबर को चुनाव के नतीजे घोषित किए गए। सदन में बहुमत के लिए 145 विधायकों का समर्थन चाहिए। 24 अक्टूबर से 9 नवंबर के बीच कुछ नहीं हुआ। इस दौरान राज्यपाल ने किसी को सरकार बनाने के लिए नहीं बुलाया। 9 नवंबर को राज्यपाल ने बीजेपी को न्योता दिया, लेकिन बीजेपी ने सरकार बनाने से मना कर दिया। 10 नवंबर को शिवसेना को बुलाया, लेकिन उसे 24 घंटे का ही समय दिया गया। बाद में अन्य पार्टियों की संभावनाएं तलाशने के बाद 12 नवंबर को दोपहर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।”
विपक्षी की ओर से यह कोर्ट से मांग की गई की जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट की इजाजत दी जाए। विपक्ष की ओर से कहा गया कि जोड़-जोड़ की राजनीति पर रोक लगनी चाहिए, ऐसे में यह जरूरी है कि जल्द से जल्द फ्लोर टेस्ट हो। विपक्ष यह चाह रहा था कि 24 घंटे के भीतर फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया को पूरी की जाए।
महाराष्ट्र बीजेपी की ओर से कोर्ट मे पेश मुकुल रोहतगी ने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 360 और 361 में राष्ट्रपति और राज्यपाल के अधिकारों का विस्तार से बखान है। अनुच्छेद 361 के तहत राज्यपाल अपने अधिकार क्षेत्र के तहत किए गए काम के लिए किसी भी कोर्ट के सामने जवाबदेह नहीं है। राज्यपाल को अधिकार है कि वह किसको मुख्यमंत्री के रूप में चुने।”
महाराष्ट्र पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कांग्रेस की प्रतिक्रिया आ गई है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने तीनों राजनीतिक दलों कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी की याचिका पर सुनवाई की और कोर्ट ने सरकार को मुख्यमंत्री समेत सभी पक्षों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि जो समर्थन पत्र फडणवीस और अजित पवार ने राज्यपाल को दिया था, उसे अदालत के सामने पेश किया जाए। हमने कोर्ट से कहा कि फौरी तौर पर बहुमत साबित करने के लिए आदेश जारी किया जाए ताकि यह सबित हो जाए कि बीजेपी की सरकार अवैध है। सोमवार को सुनवाई के बाद इस पर कोर्ट फैसला देगा। यह (बीजेपी) एक नाजायज सरकार है, क्योंकि इन्हें विधायकों का समर्थन नहीं है।”
कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “मैं सुप्रीम कार्ट का आभार व्यक्त करता हूं कि कोर्ट ने हमारी याचिका पर रविवार को सुनवाई की। कोर्ट ने कहा है कि सोमवार को दोबारा सुबह 10.30 बजे फिर से इस मामले की सुनवाई होगी। कोर्ट ने सभी दस्तावेज पेश करने के लिए कहा है। हम यह कहना चाहते हैं कि फडणवीस सरकार एक नाजायज सरकार है। ऐसे में कोर्ट से हमारी यह मांग है कि जल्द से जल्द कोर्ट फ्लोर टेस्ट का आदेश दे ताकि यह साफ हो जाए कि बीजेपी के पास नबंर नहीं है और यह अवैध सरकार है।”
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