चुनावी बॉन्ड पर SC में सुनवाई आज, जनता को इनकम सोर्स जानने का अधिकार है या नहीं, संविधान बेंच करेगी तय
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान बेंच ये तय करेगी कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड वैध है कि नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया, जो आज मामले की सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान बेंच ये तय करेगी कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड वैध है कि नहीं। पार्टियों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत चुनावी बॉन्ड योजना को 2 जनवरी 2018 को सरकार की ओर से अधिसूचित किया गया था।
इससे पहले 10 अक्टूबर को कोर्ट ने कहा था कि मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जाएगा। इसमें आगे कहा गया है कि अगर सुनवाई 31 अक्टूबर को समाप्त नहीं होती है तो मामले की सुनवाई 1 नवंबर को भी की जाएगी।
चुनावी बॉन्ड योजनाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं 2017 में दायर की गईं थीं। यह योजना केंद्र द्वारा 2017 के वित्त अधिनियम में किए गए संशोधन के माध्यम से शुरू की गई थी। वित्त अधिनियम, 2017 के माध्यम से संशोधनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं, इसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजनीतिक दलों के लिए अनियंत्रित फंडिंग के दरवाजे खोल दिए हैं।
चुनावी बॉन्ड किसी भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति या निकाय भारतीय नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो। ये बांड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को धन योगदान देने के उद्देश्य से जारी किए जाते हैं।
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