अर्नब गोस्वामी को अन्य आरोपियों के साथ सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, कोर्ट ने दिया निजी स्वतंत्रता का हवाला

सुप्रीम कोर्ट ने एक इंटीरियर डिजायनर और उनकी मां को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के आरोप में गिरफ्तार रिपबल्कि टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को राहत देते हुए अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने अर्नब के साथ मामले के दो अन्य आरोपियों को भी जमानत दी है।

फोटोः सोशल मीडिया
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आसिफ एस खान

महाराष्ट्र की जेल में बंद रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी है। कोर्ट ने गोस्वामी के साथ मामले में गिरफ्तार अन्य आरोपियों को भी कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है। खास बात ये है कि कोर्ट ने गोस्वामी को जमानत देते हुए व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय लोकतंत्र असाधारण तरीके से लचीला है और महाराष्ट्र सरकार को टीवी पर अर्नब की टिप्पणियों को नजरअंदाज करना चाहिए।

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार पर गंभीर सवाल उठाए और कहा कि इस तरह से किसी की व्यक्तिगत आजादी पर बंदिश लगाया जाना न्याय का मखौल होगा। इसके साथ ही अदालत ने गोस्वामी को जमानत नहीं देने पर हाईकोर्ट की भी खिंचाई की और कहा कि हाईकोर्ट निजी स्वतंत्रता की रक्षा करने में विफल हो रहे हैं।

सुनवाई में शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि राज्य सरकारें कुछ लोगों को विचारधारा और मत भिन्नता के कारण निशाना बना रही हैं। पीठ ने यहां तक कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय है।

पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या अर्नब गोस्वामी को हिरासत में लेकर पूछताछ की जरूरत थी, क्योंकि यह एक व्यक्तिगत आजादी से संबंधित मामला है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “उनकी जो भी विचारधारा हो, लेकिन अगर सांविधानिक न्यायालय आज इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा तो हम निर्विवाद रूप से बर्बादी की ओर बढ़ेंगे। पीठ ने पूछा कि सवाल यह है कि क्या आप इन आरोपों के कारण किसी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत आजादी से वंचित कर देंगे।

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