लखीमपुर खीरी हिंसा की CBI जांच से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- सीबीआई हर समस्या का समाधान नहीं

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की पीठ ने मृतक आरोपी श्याम सुंदर की विधवा रूबी देवी की ओर से सीबीआई जांच की मांग पर कहा कि वे राज्य के बाहर के एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को लखीमपुर खीरी हिंसा कांड में कथित रूप से पीट-पीटकर मार डाले गए एक मृतक आरोपी के वकील की दलीलों पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की गई थी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सीबीआई हर समस्या का समाधान नहीं है।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली और जस्टिस सूर्यकांत और हेमा कोहली की पीठ ने मृतक आरोपी श्याम सुंदर की विधवा रूबी देवी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण भारद्वाज से कहा कि वे चार्जशीट दाखिल होने तक जांच की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की सिफारिश करके जांच में निष्पक्षता लाने की कोशिश कर रहे हैं। पीठ ने जोर दिया कि वह राज्य के बाहर के एक सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज को नियुक्त करने के इच्छुक हैं। पीठ ने कहा, "हम एकत्र किए गए सबूतों की रक्षा करना चाहते हैं।"


मुख्य न्यायाधीश ने जांच में खराब प्रगति पर उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि अदालत मामले में राजनीतिक रंग नहीं जोड़ना चाहती, क्योंकि उसने मामले की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश पर जोर दिया है। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील भारद्वाज ने कहा, "मुझे सीबीआई चाहिए।" इस पर पीठ ने जवाब दिया, "सीबीआई हर समस्या का समाधान नहीं है।"

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने स्पष्ट किया कि हिंसा में मारे गए पत्रकार को वास्तव में कार ने कुचल दिया था और वह बाहर था। पीठ ने कहा कि ऐसा आभास दिया गया कि पत्रकार को पीट-पीटकर मार डाला गया। मुख्य न्यायाधीश ने साल्वे से कहा, "कुछ स्वतंत्र न्यायाधीशों को कार्यवाही की निगरानी करनी चाहिए। आप अपनी सरकार से पता लगा सकते हैं।"

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील भारद्वाज ने सुंदर की हत्या से पहले की तस्वीर और बुलेट प्रूफ जैकेट पहने पुलिसकर्मियों और एके 47 राइफलें भी दिखाईं। पीठ ने उनसे लगातार स्क्रीन पर तस्वीर नहीं दिखाने को कहा और कहा कि इसीलिए हम एक स्वतंत्र न्यायाधीश द्वारा निगरानी का प्रस्ताव कर रहे हैं। इसमें आगे कहा गया कि अगर राज्य सरकार एक स्वतंत्र न्यायाधीश द्वारा निगरानी के लिए सहमत होती है, तो वह उसके सामने सामग्री जमा कर सकती है।

वहीं, मृतक आरोपी श्याम सुंदर की विधवा की ओर से पेश हुए वकील अरुण भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने 15 दिन पहले उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता को सारी तस्वीरें भेजी थीं, लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया है। साल्वे ने कहा कि अगर इस स्तर पर सीबीआई को लाया जाता है, तो एक अलग समस्या होगी।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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