डीजीपी की नियुक्ति में राज्यों के अधिकार पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया अंकुश, यूपीएससी से करना होगा सलाह-मशविरा
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि डीजीपी यानी पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त किए जा सकने वाले उम्मीदवारों के रूप में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम तीन महीने पहले केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजें।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वह किसी भी पुलिस अधिकारी को कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त नहीं करे।
जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने निर्देश दिया है कि वह डीजीपी यानी पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्त किए जा सकने वाले उम्मीदवारों के रूप में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम तीन महीने पहले केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजेंगे। यूपीएससी इनमें से तीन अफसरों के नाम तय करेगा। राज्य उनमें से किसी एक को डीजीपी या पुलिस आयुक्त बनाएंगे।
दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह भी कहा कि इन पदों पर उन्हीं अफसरों की नियुक्ति होगी, जिनका कार्यकाल दो साल से ज्यादा बचा हो।
यह सारे निर्देश 2006 में पूर्व आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह की याचिका पर आए फैसले में संशोधन की मांग को लेकर दिए गए आवेदन के जवाब में दिए गए हैं।
सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि ज्यादातर राज्य सरकार रिटायर होने की कगार पर पहुंचे अफसरों को कार्यकारी पुलिस महानिदेशक नियुक्त करते हैं। बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देकर उन्हें स्थाई कर दिया जाता है। इससे अफसर को दो साल और मिल जाते हैं। 24 में से सिर्फ 5 राज्यों - तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना और कर्नाटक ने ही 2006 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति के लिए यूपीएससी से परामर्श किया।
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