बिहार के बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को बड़ा झटका, हाई कोर्ट से सुनाई गई उम्रकैद सुप्रीम कोर्ट से भी बरकरार
सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में पटना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी शहाबुद्दीन की सजा को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन और उसके तीन सहयोगियों को हाई कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा बरकरार रखी।
बिहार के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने सिवान में दो भाईयों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है। सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई की बेंच ने शहाबुद्दीन के वकीलों से पूछा, “इस दोहरे हत्याकांड के गवाह तीसरे भाई राजीव रोशन की कोर्ट में गवाही देने जाते समय हत्या क्यों की गई? इस हमले के पीछे कौन था। सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले में दखल नहीं देगा। इस अपील में कुछ नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही चंदा बाबू ने कहा कि इस केस में न्यायपालिका जिस तरह से फैसला सुना रही है और सभी का सहयोग मिल रहा है उससे मेरा भरोसा बढ़ रहा है। अपने दो बेटों को एक साथ गंवाने वाले चंदा बाबू ने कहा कि हमारे दोनों बच्चे सीवान की आजादी के लिये शहीद हुए थे और अब ऐसा लग रहा है कि मेरा सीवान सच में आजाद हो गया है।
बता दें कि अगस्त में 2004 में सिवान में सतीश और गिरीश रोशन की तेजाब डालकर हत्या कर दी गई थी। इस दोहरे हत्याकांड में 9 दिसंबर 2015 को निचली अदालत ने शहाबुद्दीन और अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ शहाबुद्दीन ने पटना हाईकोर्ट में अपील की थी। 2017 में पटना हाईकोर्ट ने भी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत और हाईकोर्ट की सजा को बरकरार रखा है। दूसरी ओर शहाबुद्दीन की दहशत और धमकियों के बावजूद पीड़ित चंदा बाबू ने न्याय की लड़ाई जारी रखी, लेकिन इसकी भारी कीमत उन्हें 6 जून, 2014 को फिर चुकानी पड़ी। भाइयों के मर्डर के मामले में कोर्ट में गवाही देने जा रहे उनके तीसरे बेटे राजीव रौशन को बीच शहर में गोलियों से छलनी कर दिया गया। शहाबुद्दीन अभी दिल्ली के तिहाड़ जेल में सजा काट रहा है
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