अनुच्छेद 370 हटाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला
जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 2 अगस्त से सुनवाई शुरू हुई थी। पीठ में 16 दिनों तक सुनवाई चली। संविधान पीठ में चीफ जस्टिस समेत सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे।
जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निरस्त करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के 2019 के मोदी सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने मंगलवार को सुनवाई पूरी कर ली और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
सुनवाई पूरी होने पर चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा, "बार के सभी सदस्यों को धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हम इस पर बहस समाप्त करते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।" वहीं अनुच्छेद 370 मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने कहा कि हम अदालत में रखी गई दलीलों से संतुष्ट हैं। सभी पहलुओं पर ठोस तर्क दिये गए।
सभी पक्षों की दलीलें पूरी हो जाने और पीठ द्वारा सुनवाई पूर कर लेने के बाद उम्मीद है कि शीर्ष अदालत जल्द ही अपना फैसला सुनाएगी। जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 16 दिनों तक सुनवाई चली। संविधान पीठ, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के पांच वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल थे, ने 2 अगस्त से मामले की सुनवाई शुरू की थी।
इससे पहले, मार्च 2020 में इस मुद्दे को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को सौंपने की याचिकाकर्ताओं की मांग को स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया था। तत्कालीन सीजेआई एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने तर्क दिया था कि अनुच्छेद 370 की व्याख्या से संबंधित प्रेम नाथ कौल और संपत प्रकाश मामले में शीर्ष अदालत के पहले के फैसले एक दूसरे से विरोधाभासी नहीं थे। सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस खन्ना पीठ के नए सदस्य हैं। न्यायमूर्ति रमना और सुभाष रेड्डी, जो पिछली पीठ का हिस्सा थे, सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
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