सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से मांगी राफेल की फाइल, कहा, बंद लिफाफे में दें कीमत और रणनीतिक जानकारी
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने राफेल केस की सुनावई करते हुए डील के तहत ऑफसेट पार्टनर के चुनाव की प्रक्रिया के बारे में केंद्र से जानकारी मांगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार डील से जुड़ी उन सूचनाओं को सार्वजनिक करे जिसे जनता में रखा जा सके।
राफेल डील की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से 10 दिनों के अंदर सील बंद लिफाफे में राफेल विमान की कीमत और विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सौदे की प्रक्रिया की जानकारी मांगी थी।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले की सुनावई करते हुए डील के तहत ऑफसेट पार्टनर के चुनाव की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार डील से जुड़ी उन सूचनाओं को सार्वजनिक करे जिसे जनता के बीच रखा जा सकता है।
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम केंद्र को नोटिस जारी नहीं कर रहे है। यह भी साफ कर रहे हैं कि याचिकाकर्ताओं की दलीलों को भी नहीं रिकार्ड कर रहे हैं, क्योंकि उनकी दलीलें पर्याप्त नहीं हैं। हम सिर्फ डील को लेकर फैसले की प्रक्रिया पर खुद को संतुष्ट करना चाहते हैं।”
ये है पूरा मामला:
यूपीए सरकार ने राफेल सौदे की शुरुआत की थी तो उसने 126 विमान खरीदने का फैसला किया था और कीमत करीब 526 करोड़ प्रति विमान तय हुई थी। इस सौदे में खास बात यह थी कि 18 विमान उड़ंतु स्थिति (फ्लाईअवे) में आने थे और बाकी का निर्माण यहीं भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड – एचएएल को करना था। सौदे की शर्तों में राफेल बनाने की तकनीक एचएएल को देना भी शामिल था। लेकिन आरोप है कि मोदी सरकार ने सिर्फ 36 विमानों का सौदा किया, कीमत तीन गुना कर दी गई, एचएएल को सौदे से बाहर कर दिया गया और हजारों करोड़ का ठेका बिना अनुभव वाली और कर्ज में डूबी रिलायंस डिफेंस को दे दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने इस सौदे में घोटाला किया है। लगातार कांग्रेस इस डील की जांच की मांग कर रही है।
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