कावेरी जल विवादः सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, तमिलनाडु का पानी घटा, कर्नाटक को मिला ज्यादा
कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि नदी पर किसी एक राज्य का अधिकार संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है।
कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि नदी पर किसी एक राज्य का अधिकार संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पानी राष्ट्रीय संपत्ति है। फैसले के मुताबिक कावेरी नदी से तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में कटौती की है। कोर्ट ने पानी का बंटवारा करते हुए कहा कि तमिलनाडु को 177.27 क्यूसेक पानी देने को कहा है। पहले तमिलनाडु को 192 क्यूसेक पानी देने की मंजूरी दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब इस फैसले को लागू कराना केंद्र सरकार का काम है। इस बीच कोर्ट का फैसला आते ही कर्नाटक की बसों को एहतियातन तमिलनाडु के बॉर्डर पर ही रोक दिया गया है।
कोर्ट के इस फैसले पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अगले 15 साल के लिए ये फैसला प्रभावी रहेगा।
कर्नाटक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से रक्षना वेदिका के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर है।
तमिलनाडु के वकील सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाखुशी जताई है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर तथा न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़ की पीठ ने 20 सितंबर 2017 को कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल की तरफ से दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। तीनों राज्यों ने कावेरी जल विवाद अधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) की तरफ से 2007 में जल बंटवारे पर दिए गए फैसले को चुनौती दी थी।
साल 1990 में कावेरी जल विवाद ट्रिब्यूनल की स्थापना हुई। ट्रिब्यूनल ने साल 2007 में इस मामले में तमिलनाडु को 419 टीमएसी फुट, कर्नाटक को 270 टीमएसी फुट, केरल को 30 टीएमसी फुट और पुंडुचेरी को 7 टीएमसी फुट जल का आवंटन किया था।
पिछले कुछ सालों से बेंगलुरु ने भारी जल संकट की वजह से कर्नाटक हमेशा यह कहता रहा है कि उसके पास कावेरी नदी बेसिन में इतना पानी नहीं है कि वह तमिलनाडु को उसका हिस्सा दे सके। वहीं तमिलनाडु किसानों के हक को लेकर ज्यादा पानी मांगता रहा है।
साल 2016 में कावेरी विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद पूरे कर्नाटक में बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे।
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Published: 16 Feb 2018, 12:23 PM