बुलडोजर एक्शन पर 'सुप्रीम' रोक बरकरार, SC ने कहा- कोई आरोपी या दोषी है, इस वजह से नहीं हो सकती संपत्ति में तोड़फोड़

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराधियों, आरोपियों और अन्य की संपत्तियों को गिराया जा रहा है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है। बेंच ने यह भी निर्देश दिया कि कोर्ट के आदेश की अवमानना करने वालों पर एक्शन होगा। साथ ही पीड़ितों की संपत्ति वापस की जाएगी, जिसका मुआवजा भी दोषी अधिकारियों से वसूला जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई की, जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में अपराधियों, आरोपियों और अन्य की संपत्तियों को गिराया जा रहा है। बुलडोजर मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करने जा रहे हैं कि सिर्फ इसलिए कि कोई आरोपी या दोषी है, उसकी संपत्ति को गिराने का आधार नहीं बनाया जा सकता। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीन पर किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं दिया जाएगा।

पीठ ने कहा कि हम जो भी दिशा निर्देश तय कर रहे हैं, हम इसे पूरे देश में सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए तय कर रहे हैं, किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं है। हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं। किसी धर्म विशेष के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 'हम ये भी सुनिश्चित करेंगे कि हमारी सीमाओं या किसी भी सार्वजनिक संपत्ति पर अतिक्रमण न हो सके।

आपको बता दें, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इससे पहले 17 सितंबर के अपने आदेश में अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाने पर रोक लगा दी थी। 17 सितंबर के अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि 1 अक्टूबर तक बिना सुप्रीम कोर्ट की पूर्व अनुमति के किसी की भी संपत्तियों को नहीं गिराया जाएगा।

अपने निर्देश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला संविधान के 'मूल सिद्धांतों' के खिलाफ है। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि उसका आदेश उन मामलों में लागू नहीं होगा, जहां सड़क, गली, फुटपाथ, जंगल, रेलवे लाइन या किसी जल निकाय जैसे किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई अनधिकृत संरचना है और उन मामलों में भी लागू नहीं होगा, जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया है।

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