घटिया खाना-गंदगी के विरोध में शिमला लॉ यूनिवर्सिटी में छात्र आंदोलन जारी, प्रशासन हॉस्टल खाली कराने पर अड़ा
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के घंडल में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं। प्रशासन और छात्रो के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। छात्रों की मांग से नाराज प्रशासन ने हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया है।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के घंडल में स्थित नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र 4 दिनों से आंदोलनरत हैं। लाखों की फीस चुकाने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित पूरे देश से यहां कानून की पढ़ाई करने आए छात्रों का आक्रोश विवि प्रबंधन की अराजकता के कारण आखिरकार फूट पड़ा है। छात्रों के विरोध से नाराज विवि प्रबंधन ने हॉस्टल खाली करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। साथ ही 20 सितंबर से छात्रों को खाना देना भी बंद कर दिया गया है। अब बड़ा सवाल यह है कि विवि में पढ़ने वाले तकरीबन 400 छात्र इस हालात में जाएं तो जाएं कहां। लेकिन आक्रोशित छात्र का कहना है कि मांगें माने जाने तक वे आंदोलन पर रहेंगे।
छात्रों के प्रदर्शन की शुरुआत 17 सितंबर को हुई। मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर छात्रों ने क्लास का बहिष्कार किया था। इसके बाद नाराज छात्रों ने प्रदर्शन विवि प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन किया।
नाराज छात्रों ने वीसी को मांगपत्र सौंपा, जिसमें उन्हें घटिया खाना परोसे जाने के साथ ही रोजमर्रा की जरूरत का पानी भी न मिलने का आरोप लगाया गया था। वीसी ने उन्हें शांत कराने की कोशिश की, लेकिन छात्र अपनी मांगों पर अड़े रहे। छात्रों के न मानने पर विवि प्रबंधन ने एक सप्ताह के लिए विवि को बंद कर दिया। साथ ही छात्रों को तुरंत कैंपस खाली करने के आदेश दे दिया। आदेश में कहा गया कि यदि कोई छात्र रात में विवि में रहता है तो यह उसकी जिम्मेदारी होगी और 20 सितंबर तक हॉस्टल न खाली करने पर संबंधित छात्रों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।
बुधवार को भी छात्रों का प्रतिनिधिमंडल वीसी से मुलाकात की, लेकिन इस समस्या का कोई हल नहीं निकला। विवि में पढ़ने वाले करीब 400 छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को भी प्रबंधन ने एक सप्ताह विवि बंद रहने की सूचना दे दी है। विवि के कैंपस खाली करने के तुगलकी फरमान पर छात्रों का कहना है कि बाहर से भी छात्र यहां पढ़ने आए हैं। लिहाजा यह संभव नहीं है कि इस तरह विवि कैंपस हम खाली कर दें। किसी भी कीमत पर हम छात्रावास खाली नहीं करेंगे।
छात्र अभिनव ने कहा, “एक तो विवि प्रबंधन हमें कोई सुविधा नहीं दे रहा है। उपर से फरमान जारी कर छात्रावास खाली करने और 20 सितंबर यानी आज से ब्रेकफास्ट के बाद खाना देने से भी मना कर दिया है। हमें मजबूरन अपने हक के लिए आंदोलन पर उतरना पड़ा है।”
चौथे साल के छात्र श्रीकृष्ण चौधरी ने कहा, “4 साल गुजर गए हैं और हमें पीने के लिए पानी तक विवि नहीं दे सका। हम अपने हक की आवाज उठा रहे हैं तो कह रहे हैं कि विवि कैंपस ही खाली कर दो। यह तो हद है। न तो हम छात्रावास खाली करेंगे और न मांगें माने जाने तक आंदोलन रुकेगा।”
श्रीकृष्ण का कहना, “हमारी मुख्य मांग प्रबंधन में पारदर्शिता है, लेकिन अब छात्रावास खाली करवाना और छात्रों को खाना न मिलना मुख्य मुद्दा बन गया है। छात्रों की मांग संबंधी एक लंबी फेहरिस्त है।” नाराज छात्रों की मांग है कि लोकतांत्रिक तरीके से छात्र संघ के चुनाव करवाए जाएं। विवि संचालन के नियम-कानून और खातों की जानकारी वेबसाइट में डाली जानी चाहिए। फीस का ढांचा अस्पष्ट है। सुविधाओं के नाम पर 37,500 की फीस ली जाती है, जिसके बदले हमें मिलता क्या है।
उन्होंने मांग करते हुए कहा कि छात्रों से जुड़ी सूचनाएं-सुविधाएं, प्रवेश की प्रक्रिया, फीस का भुगतान, विवि से संबंधित कॉलेजों से समन्वय, परीक्षा प्रबंधन, स्टोर, हॉस्टल, कैंटीन, लाइब्रेरी प्रबंधन, परीक्षा परिणाम और आरटीआई जैसी सूचनाएं विवि की वेबसाइट पर पारदर्शी तरीके से उपलब्ध हों।
छात्रों ने विवि के शैक्षिक ढांचे पर भी गंभीर सवाल खड़ा किया है। छात्रों का कहना है कि कोई वर्कशॉप, गेस्ट लेक्चर, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम और सेमिनार भी विवि में नहीं होता। छात्रों का कहना है कि वह ढाई लाख तक फीस चुका रहे हैं इसके बावजूद उन्हें मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं। पीने के लिए साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। इंटरनेट की सुविधा नहीं है। स्टूडेंट कमेटी को कोई अधिकार न होने की वजह से वह छात्रों का सही प्रतिनिधित्व ही नहीं कर पा रही है।
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