बीजेपी में प्रवक्ता पद बना सफलता की सीढ़ी! अरुण जेटली, सीतारमण से लेकर स्मृति ईरानी तक लंबी है लिस्ट
उत्तर प्रदेश की राज्यसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार सुधांशु त्रिवेदी निर्वाचित घोषित किए गए हैं। सुधांशु त्रिवेदी पहले ऐसे राष्ट्रीय प्रवक्ता नहीं हैं, जो बैकडोर से संसद पहुंच रहे हैं। इससे पहले बीजेपी के कई नेता, राष्ट्रीय प्रवक्ता से होकर राज्यसभा सांसद के मुकाम तक पहुंच चुके हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के निधन के बाद खाली हुई उनकी राज्यसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार सुधांशु त्रिवेदी को राज्यसभा सदस्य चुन लिए गए। बुधवार को राज्यसभा सीट पर हुए उपचुनाव में सुधांशु त्रिवेदी को निर्विरोध चुना गया। इस बीच सत्ता के गलियारे में चर्चा जोरों पर है कि पार्टी में राष्ट्रीय प्रवक्ता का पद बैकडोर से सफलता पाने की सीढ़ी है। बता दें कि राज्यसभा सदस्य बनने से पहले सुधांशु त्रिवेदी राष्ट्रीय प्रवक्ता थे।
सुधांशु त्रिवेदी पहले राष्ट्रीय प्रवक्ता नहीं हैं, जो बैकडोर से संसद पहुंच रहे हैं। इससे पहले बीजेपी के कई नेता, राष्ट्रीय प्रवक्ता से होकर राज्यसभा सांसद और ताकतवर मंत्री के मुकाम तक पहुंच चुके हैं। आइए एक नजर डालते है कि इन नेताओं पर।
अरुण जेटली :
1991 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनने के बाद अरुण जेटली को पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता की भी जिम्मेदारी दी थी। पार्टी ने यह जिम्मेदारी 1991 के लोकसभा चुनाव से पहले अरुण जेटली को सौंपी थी। राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद अरुण जेटली की किस्मत ऐसी चमकी कि वह अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर नरेंद्र मोदी के दौर में भी ताकतवर मंत्री रहे।
1999 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में अरुण जेटली जहां सूचना एवं प्रसारण मंत्री के साथ विनिवेश राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने, वहीं मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में वह वित्तमंत्री रहे। कभी लोकसभा सदस्य न होने के बाद भी जेटली राज्यसभा सदस्य के तौर पर हमेशा असरदार बने रहे।
निर्मला सीतारमण :
बीजेपी की राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुकीं निर्मला सीतारमण ने कम समय में बहुत तरक्की की हैं। बीजेपी में अपने महज 11 साल के करियर में ही उनके खाते में बड़ी सफलताएं हैं। साल 2014 से 2019 के बीच उन्हें कई बड़े मंत्रालय संभालने के मौके मिले। 2008 में बीजेपी से जुड़ने के दो साल बाद ही पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय प्रवक्ता बना दिया था। 2014 में मोदी सरकार बनी तो पहले उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का जिम्मा सौंपा गया, बाद में रक्षा जैसा ताकतवर मंत्रालय भी मिला। वहीं मोदी 2.0 में वह वित्त मंत्रालय संभाल रही हैं। निर्मला भी राज्यसभा के रास्ते यानी बैकडोर से संसद पहुंची हैं।
प्रकाश जावड़ेकर :
मौजूदा समय में सूचना एवं प्रसारण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की भी किस्मत प्रवक्ता बनने के बाद चमकी। 2003 में राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के 5 साल बाद 2008 में पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र के रास्ते राज्यसभा भेजा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी उन्हें पर्यावरण मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार सहित संसदीय कार्य विभाग और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा मिला था। बाद में उन्हें मानव संसाधन विकास मंत्री बनाया गया।
स्मृति ईरानी :
टीवी एक्ट्रेस का करियर छोड़कर 2003 में बीजेपी से राजनीति पारी शुरू करने वाली स्मृति ईरानी की तरक्की भी राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद हुई। 2004 में चांदनी चौक से पहला लोकसभा चुनाव हार जाने के बाद सितारे गर्दिश में थे। मगर, नितिन गडकरी के कार्यकाल में वह राष्ट्रीय प्रवक्ता बनीं तो फिर सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गईं। 2011 में गुजरात से पहली बार राज्यसभा पहुंचीं। वहीं 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उन्हें मानव संसाधन, सूचना एवं प्रसारण, कपड़ा जैसे अहम मंत्रालय मिले। वहीं, मोदी सरकार 2.0 में स्मृति ईरानी महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं।
अनिल बलूनी :
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबियों में शुमार और उत्तराखंड से नाता रखने वाले अनिल बलूनी की तरक्की भी राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद शुरू हुई। 2014 में राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के तीन साल बाद 2017 में उन्हें पार्टी ने राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी बनाया। अगले साल ही मार्च, 2018 में उत्तराखंड के रास्ते उन्हें राज्यसभा भी भेज दिया। सुर्खियों से दूर रहकर काम करने वाले 48 वर्षीय अनिल बलूनी की गिनती बीजेपी के संभावना भरे नेताओं में होती है।
बीजेपी के एक राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी कहते हैं, “यह महज संयोग हो सकता है कि कई नेताओं की तरक्की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने के बाद हुई।”
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