लोकसभा उपचुनावः बसपा ने किया ऐलान, बीजेपी को हराने के लिए सपा को समर्थन
यूपी की दो लोकसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव में बीजेपी को हराने के लिए बसपा ने सपा के प्रत्याशियों को समर्थन देने का फैसला लिया है। हालांकि, मायावती ने खुद इस बारे में कोई ऐलान नहीं किया है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की एकतरफा जीत से सबसे ज्यादा घाटे में रही बसपा ने आगामी लोकसभा उपचुनाव में सपा को समर्थन देने का ऐलान किया है। यूपी की गोरखपुर और फुलपूर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होना है। इन दोनों ही जगहों से बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है। उपचुनाव की घोषणा के बाद बी बसपा ने ऐलान कर दिया था कि वह इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं देगी। उसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे थे कि बसपा अखिलेश यादव की सपा को समर्थन दे सकती है। लखनऊ में पार्टी नेताओं के साथ बसपा प्रमुख मायावती की बैठक के बाद इस संबंध में फैसला लिया गया है।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी पार्टी ने गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव के लिए उम्मीदवार नहीं खड़े किये हैं, इसलिए यहां पार्टी कार्यकर्ता बीजेपी को हराने के लिए वोट देंगे। हालांकि, मायावती ने साफतौर पर सपा को समर्थन का ऐलान तो नहीं किया, लेकिन उन्होंने इससे सीधे-सीधे इनकार भी नहीं किया। हालांकि, मायावती ने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उनकी पार्टी ने किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं किया है।
इससे पहले लखनऊ में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के बाद बसपा के इलाहाबद कोऑर्डिनेटर अशोक गौतम ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा, “हमारे कार्यकर्ता बीजेपी को हराना चाहते हैं और इसीलिए हमने फूलपुर उपचुनाव में सपा उम्मीदवार नागेंद्र सिंह पटेल को समर्थन देने का फैसला किया है।”
बसपा बसपा ने गोरखपुर लोकसभा सीट पर भी सपा उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है। बसपा के गोरखपुर प्रभारी घनश्याम चंद्र खारवार ने लोकसभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में सपा प्रत्याशी प्रवीण कुमार निषाद को समर्थन देने का फैसला किया है।
हालांकि, सूत्रों के अनुसार बसपा ने गोरखपुर और फूलपुर सीट से सपा के प्रत्याशियों के समर्थन का फैसला पहले ही ले लिया था। लेकिन इसका औपचारिक ऐलान नहीं किया गया था। इस बारे में अंतिम फैसला 4 मार्च को लखनऊ में मायावती की अध्यक्षता में पार्टी नेताओं की बैठक में लिया गया। इस बैठक में पार्टी के दोनों मंडलों के कोआर्डिनेटर्स से पार्टी की रणनीति पर गहन चर्चा के बाद ये फैसला लिया गया। हालांकि, समर्थन के बारे में स्वयं मायावती या किसी अन्य बड़े नेता ने मीडिया में आकर कोई ऐलान नहीं किया है। इसको लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि शायद मायावती सीधे तौर पर खुद इसकी घोषणा ना करें और स्थानीय स्तर के नेताओं से घोषणा करवाएं। और ऐसा ही हुआ।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी में पहले भी उपचुनाव में किसे समर्थन दिया जाए, इसको लेकर काफी दिनों से स्थानीय स्तर पर चर्चा चल रही थी। लेकिन मुलायम सिंह यादव और मायावती के बीच पुरानी अदावत की वजह से इस बारे में फैसला नहीं हो पा रहा था सका है। लेकिन सपा की कमान अब अखिलेश यादव के हाथों में है और वे लंबे समय से बसपा के साथ गठबंधन की कोशिशें करते आ रहे हैं। वहीं, बसपा के भी कुछ स्थानीय नेताओं का मानना है कि अगर पार्टी खुद चुनाव नहीं लड़ रही है तो उसे किसी ना किसी को समर्थन देना चाहिए और जनता के बीच जाना चाहिए। वर्ना ये तो पूरी तरह से मैदान छोड़ने वाली बात हो जाएगी, जिससे अपना ही नुकसान होगा। कार्यकर्ता और नेता कुछ भी कहें, सभी को पता है कि बसपा में आखिरी फैसला मायावती का ही होता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को मतदान होना है और 14 मार्च नतीजे आएंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। गोरखपुर वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की परंपरागत सीट मानी जाती है। ऐसे में ये उपचुनाव उनके और मौर्या के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसीलिए बीजेपी ने इन दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवरों के चयन में जातीय समीकरण का पूरा ख्याल रखा है।
बीजेपी ने फूलपुर उपचुनाव में भाजपा ने वाराणसी के पूर्व महापौर कौशलेंद्र सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है, वहीं सपा ने नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल को और कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता जेएन मिश्र के पुत्र मनीष मिश्र को चुनाव मैदान में उतारा है। दूसरी ओर, योगी आदित्यनाथ के इस्तीफे के बाद खाली हुई गोरखपुर लोकसभा सीट से बीजेपी ने क्षेत्रीय अध्यक्ष उपेंद्र दत्त शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। पूर्वांचल में उपेंद्र दत्त शुक्ला की पहचान एक बड़े ब्राह्मण चेहरे के रूप में है और कार्यकर्ताओं में उनकी अच्छी पकड़ है। वहीं, सपा ने यहां निषाद पार्टी और पीस पार्टी के साथ गठबंधन के तहत निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण कुमार निषाद को मैदान में उतारा है। वहीं कांग्रेस ने डॉ. सुरहिता को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं देने का फैसला किया है।
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