सोनिया गांधी ने ओबीसी छात्रों के लिए पीएम को लिखा पत्र, मेडिकल में प्रवेश के लिए नीट में की कोटे की मांग

सोनिया गांधी ने अपने पत्र में कहा कि ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर अदर बैकवर्ड क्लासेज के आंकड़ों के मुताबिक, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मेडिकल संस्थानों में ओबीसी आरक्षण नहीं होने से 2017 के बाद से ओबीसी छात्रों को 11,000 से अधिक सीटें गंवानी पड़ी हैं।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मेडिकल शिक्षण संस्थानों में ओबीसी आरक्षण की अनुपालना सुनिश्चित कराने का आग्रह किया है। सोनिया गांधी ने पत्र में प्रधानमंत्री से मेडिकल संस्थानों में दाखिले के लिए होने वाले राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) ओबीसी छात्रों को नियमों के मुताबिक आरक्षण देने की मांग की।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "मैं राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से भरे जा रहे सीटों में अखिल भारतीय कोटा के तहत ओबीसी छात्रों को आरक्षण से इनकार किए जाने के मसले पर आपका ध्यान खींचना चाहती हूं।"

सोनिया गांधी ने अपने पत्र में कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) के जरिए मेडिकल संस्थानों में होने वाले दाखिले के संदर्भ में ओबीसी छात्रों को आरक्षण की सुविधा नहीं मिल पा रही है। उन्होंने पत्र में कहा कि अखिल भारतीय कोटा के तहत ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षण केवल केंद्रीय संस्थानों तक ही सीमित है।

सोनिया गांधी ने पत्र में कहा, "ऑल इंडिया फेडरेशन फॉर अदर बैकवर्ड क्लासेज' की ओर से एकत्र किये कए आंकड़ों के मुताबिक, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मेडिकल शिक्षण संस्थानों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं होने से 2017 के बाद से ओबीसी छात्रों को 11,000 से अधिक सीटें गंवानी पड़ी हैं।

सोनिया गांधी ने कहा कि ओबीसी छात्रों को अखिल भारतीय कोटा के तहत राज्य के चिकित्सा संस्थानों में आरक्षण नहीं दिया जाना भारत सरकार के आदेश और 93वें संवैधानिक संशोधन का उल्लंघन है। साथ ही योग्य ओबीसी छात्रों को चिकित्सा की पढ़ाई करने से रोकने जैसा है।

बता दें कि इस समय केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा के तहत 15 फीसदी अनुसूचित जाति, 7.5 फीसदी अनुसूचित जनजाति और 10 फीसदी आर्थिक रूप से कमजोर लोगों (ईडब्ल्यूएस) के लिए सीट आरक्षित हैं।

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