लद्दाख भवन में सोनम वांगचुक का अनशन जारी, बोले- शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात का समय मिलने तक डटे रहेंगे

वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के लोगों ने केंद्र शासित प्रदेश बनाने के सरकार के कदम का स्वागत किया था क्योंकि उन्हें विधानसभा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि हम यहां बीजेपी को उसके घोषणापत्र में किए गए वादे याद दिलाने आए हैं।

लद्दाख भवन में सोनम वांगचुक का अनशन जारी, बोले- शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात का समय मिलने तक डटे रहेंगे
लद्दाख भवन में सोनम वांगचुक का अनशन जारी, बोले- शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात का समय मिलने तक डटे रहेंगे
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नवजीवन डेस्क

लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर आदेलन कर रहे जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का दिल्ली के लद्दाख भवन में अनशन जारी है। सोमवार को उन्होंने कहा कि वह और उनके समर्थक तब तक लद्दाख भवन में डटे रहेंगे जब तक अधिकारी यह नहीं बता देते कि कब वे देश के शीर्ष नेतृत्व से मिल सकते हैं।

सोनम वांगचुक ने कहा कि प्रदर्शनकारी लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं और यह असामान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि वे यहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को चुनाव के दौरान किया उसका वादा याद दिलाने आए हैं। वांगचुक ने कहा, ‘‘हम तब तक यहां बैठेंगे जब तक हमें जवाब नहीं मिल जाता कि हम अपने नेताओं से कब मिल पाएंगे। हमने 30-32 दिन तक पैदल यात्रा की है, हम कम से कम एक मुलाकात के तो हकदार हैं।’’

जलवायु कार्यकर्ता ने कहा कि लद्दाख के लोगों ने इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाने के सरकार के फैसले का स्वागत किया था क्योंकि उन्हें विधानसभा और छठी अनुसूची में शामिल करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई असामान्य मांग नहीं कर रहे हैं, हम यहां बीजेपी को उसके घोषणापत्र में किए गए वादों की याद दिलाने आए हैं।’’

मौजूदा समय में छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों को ‘‘स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों’’ के रूप में प्रशासन से संबंधित है। वांगचुक और उनके समर्थकों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन की अनुमति नहीं मिलने पर रविवार को लद्दाख भवन में ही अपना अनिश्चितकालील अनशन शुरू कर दिया। वांगचुक और उनके समर्थक अपनी मांग को लेकर लेह से दिल्ली तक पैदल चलते हुए पहुंचे और 30 सितंबर को राजधानी की सिंघू सीमा पर उन्हें हिरासत में ले लिया गया।


'दिल्ली चलो पदयात्रा' का नेतृत्व लेह एपेक्स बॉडी द्वारा किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों को दिल्ली पुलिस ने दो अक्टूबर की रात रिहा कर दिया था। रविवार को वांगचुक शाम करीब चार बजे लद्दाख भवन से बाहर निकले और घोषणा की कि वह अनशन पर बैठने जा रहे हैं। लद्दाख भवन में रविवार को भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी और प्रवेश प्रतिबंधित था। हालांकि, सोमवार को अतिरिक्त सुरक्षा बल हटा लिया गया और वांगचुक तथा अन्य लोगों को गेट पर आगंतुकों से मिलने की अनुमति दी गई।

रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने रात खुले में बिताई। वांगचुक ने कहा, ‘‘यह आरामदायक स्थिति नहीं थी, हम लगभग सड़क पर थे और मच्छर काट रहे थे। अब गर्मी है और ये लद्दाखी लोग हैं जो शून्य से नीचे के तापमान के आदी हैं... यहां बुजुर्ग लोग भी हैं, लेकिन जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती, हम यहां से नहीं जाएंगे।’’


इससे पहले एलएबी के एक सदस्य ने बताया कि अधिकारियों ने अभी तक प्रदर्शनकारियों को अपना आंदोलन जारी रखने के लिए किसी वैकल्पिक स्थल पर जाने की अनुमति नहीं दी है इसलिए लद्दाख भवन में अनशन जारी रहेगा। संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को शामिल करने के अलावा, प्रदर्शनकारी लद्दाख के लिए एक लोक सेवा आयोग और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग लोकसभा सीटों की मांग भी कर रहे हैं।

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