सोनम वांगचुक ने लद्दाख के हालात पर जताई चिंता, पीएम को संदेश भेज 26 जनवरी से अनशन का किया ऐलान

सोनम वांगचुक ने कहा कि लद्दाख के लोग स्तब्ध हैं कि सरकार उनकी मांग पर ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश की समस्याओं को उठाते हुए वहां उद्योग के विस्तार की किशिश पर अपनी चिंताओं को व्यक्त किया जो पानी सहित सीमित संसाधनों पर और बोझ बढ़ाएगा।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जिस व्यक्ति ने बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म '3 इडियट्स' के जरिए देशवासियों को सकारात्मक सोचने और 'ऑल इज वेल' कहने के लिए प्रेरित किया, वह अपने मूल स्थान लद्दाख को लेकर चिंतित हैं। जी हां, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता, प्रेरक वक्ता, इंजीनियर, नवप्रवर्तक (इन्नोवेटर) और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक,ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक वीडियो संदेश पोस्ट किया है जिसमें कहा है कि 'लद्दाख के साथ सब ठीक नहीं है', क्योंकि स्टडी में दावा किया गया है कि यहां लगभग दो तिहाई ग्लेशियर विलुप्त होने की कगार पर हैं। वह वीडियो में लद्दाख की जनजातियों, उद्योगों और ग्लेशियर की बात कर रहे हैं।

वीडियो क्लिप में वांगचुक ने भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा करने के लिए पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वह 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस से पांच दिनों के लिए सांकेतिक उपवास करेंगे, ताकि इस मुद्दे को उठाया जा सके और उपवास सर्दियों की ठंड में होगा। उन्होंने पीएम से कहा- अगर माइनस 40 डिग्री टेम्प्रेचर वाले खार्दुंगला में अनशन के बाद मैं बच गया तो आपसे फिर मिलूंगा।


वांगचुक ने छठी अनुसूची में क्षेत्र को शामिल करने की मांग करते हुए कहा- छठी अनुसूची में उल्लेख है कि अगर किसी इलाके की आबादी में 50 फीसदी जनजाति हो तो उसे अनुसूची 6 में शामिल किया जाएगा, लेकिन लद्दाख में जनजाति 95 फीसदी है, फिर भी उसे अब तक अनुसूची में शामिल नहीं किया गया। केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भरोसा दिलाया था कि लद्दाख की विरासत को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।

वह लद्दाख के लोगों की छठी अनुसूची में शामिल होने की इच्छा को लद्दाख के मन की बात कहते हैं। वीडियो क्लिप में, वह 2020 के लद्दाख हिल काउंसिल चुनावों के बारे में भी बात करते हैं जो बीजेपी द्वारा जीते गए थे और 2019 में धारा 370 को खत्म कर दिया गया था, जिसके कारण लद्दाख और जम्मू-कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बन गए थे।


वे कहते हैं, लद्दाख के लोग स्तब्ध हैं कि सरकार इस मांग पर ध्यान नहीं दे रही है, उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में व्यवसायों के विस्तार की संभावना के बारे में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया जो पानी सहित सीमित संसाधनों पर और बोझ बढ़ाएगा। उन्होंने कहा कि खनन और इस तरह की गतिविधियां ग्लेशियरों को पिघला सकती हैं। इसके अलावा, लद्दाख सामरिक रूप से सेना के लिए महत्वपूर्ण है और इसने कारगिल और अन्य युद्धों में भूमिका निभाई है।

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