सोहराबुद्दीन मामलाः अमित शाह को बरी किए जाने के खिलाफ वकीलों ने दायर की याचिका
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बरी करने के निचली अदालत के फैसले को सीबीआई द्वारा चुनौती नहीं दिए जाने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है।
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी एनकाउंटर मामले में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को नीचली अदालत के बरी करने के फैसले को सीबीआई द्वारा चुनौती नहीं दिए जाने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। यह याचिका मुंबई के वकीलों के एक संगठन ने दायर की है। अपनी याचिका में बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन ने हाई कोर्ट से अपील की है कि वह शाह को बरी किए जाने के सत्र अदालत के फैसले को चुनौती देने के लिए सीबीआई को एक पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने का निर्देश दे। याचिकाकर्ता के वकील अहमद आबिदी ने कहा कि जस्टिस एससी धर्माधिकारी और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ के समक्ष 22 जनवरी को इस याचिका का उल्लेख किया जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि “सीबीआई एक प्रतिष्ठित जांच एजेंसी है। इसका सार्वजनिक कर्तव्य है कि वह अपनी कार्रवाई में कानून के नियम का पालन करे, जिसमें वह बुरी तरह विफल रही है। याचिका में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ठीक इसी तरह राजस्थान पुलिस के दो उप निरिक्षक, हिमांशु सिंह और श्याम सिंह चरण और गुजरात के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी एनके अमीन को पहले ही बरी कर चुकी है।”
याचिका में कहा गया कि, “याचिकाकर्ता को जानकारी है कि सीबीआई ने उनको बरी किए जाने के फैसले को उच्च न्यायालय में के चुनौती दी है। चुनिंदा आधार पर अभियुक्तों के बरी होने को चुनौती देने का सीबीआई का यह कदम मनमानापूर्ण और अनुचित है, बल्कि दुर्भागयपूर्ण है।”
याचिका में दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले को गुजरात से मुंबई स्थानांतरित करते समय आदेश दिया था कि इस मामले का निपटारा शीघ्रता से किया जाए। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उच्च न्यायालय की प्रशासनिक समिति मामले को उस अदालत के पास भेजेगी, जहां बिना किसी देरी के कानून के अनुसार विवेकपूर्ण तरीके से मुकदमे की सुनवाई हो सके। अदालत ने यह भी कहा था कि प्रशासनिक समिति इस बात को भी सुनिश्चित करेगी कि शुरू से लेकर अंत तक मुकदमे की सुनवाई एक ही अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए।
गुजरात और राजस्थान पुलिस ने 2005 में सोहराबुद्दीन शेख की उसकी पत्नी कौसर बी और सहयोगी तुलसी प्रजापति के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में हत्या कर दी थी। सीबीआई ने फरवरी 2010 में इस मामले की जांच शुरू की और उसी साल जुलाई में अमित शाह सहित 23 अभियुक्तों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। शाह उस समय गुजरात में गृह राज्य मंत्री थे।
मामले की सुनवाई के दौरान समय-समय पर ट्रायल कोर्ट ने तीन आईपीएस अधिकारियों सहित कई अभियुक्तों को मामले से बरी कर दिया है।
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