सीताराम येचुरी (1952-2024): नहीं रहे वाम राजनीति के सज्जन पुरुष

सीताराम येचुरी का दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे कई सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे।

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी का दिल्ली के एम्स में गुरुवार को निधन हो गया (फोटो : Getty Images)
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी का दिल्ली के एम्स में गुरुवार को निधन हो गया (फोटो : Getty Images)
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नवजीवन डेस्क

सीताराम येचुरी नहीं रहे। वे बीते 19 अगस्त से दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती थे। सीपीएम महासचिव और राज्यसभा के पूर्व सदस्य सीताराम येचुरी ने गुरुवार दोपहर को अस्पताल में ही आखिरी सांस ली।

सीताराम येचुरी 72 वर्ष के थे। उन्हें चेस्ट इंफेक्शन और न्यूमोनिया की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। एम्स के मल्टी-स्पेशियलिटी विभाग के डॉक्टरों की टीम उनका इलाज कर रही थी।

सीताराम येचुरी को भारत में वाम आंदोलन को मजबूती देने और सीपीएम को एक मजबूत राजनीतिक फोर्स के तौर पर पुनर्स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। सीताराम येचुरी दिल्ली स्थिति जवाहर लाल यूनिवर्सिटी के छात्र थे और उन्होंने पूर्व सीपीएम महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत के साथ नजदीकी से काम का था। माना जाता है कि 1996 में जब संयुक्त मोर्चा (यूनाइटेड फ्रंट) की सरकार बनी थी तो उन्होंने कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के साथ सरकार का न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार किया था।

इसके अलावा 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के गठन में भी सीताराम येचुरी की अहम भूमिका थी। इस साल यानी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया ब्लॉक में विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने में भी सीताराम ने काफी गंभीरता से काम किया था।

येचुरी राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और बीजेपी की विचारधारा और उसकी सांप्रदायिक राजनीति के कटु आलोचक थे। उन्होंने हाल में मोदी सरकार द्वारा लाए गए वक्फ बिल का मजबूती से विरोध किया था और सरकारी अफसरशाही में लैटरल इंट्री की भी तीखी आलोचना की थी।

सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में हुआ था। उन्होंने स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के साथ छात्र राजनीति में 1974 में कदम रखा। एक साल बाद वे सीपीएम में शामिल हो गए। येचुरी 1992 से सीपीएम की सर्वोच्च निर्णायक समिति पोलित ब्यूरो के सदस्य थे और 2005 से 2017 तक दो बार राज्यसभा के भी सदस्य रहे। लेकिन तीसरी बार पार्टी ने उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा क्योंकि पार्टी की नीति के मुताबिक कोई भी सदस्य दो बार से अधिक बार संसद में नहीं भेजा जाता है। इसके बाद येचुरी ने पार्टी संगठन को मजबूती देने का काम किया।

उन्होंने 2015 में सीपीएम महासचिव का पदभार संभाला। उनसे पहले प्रकाश करात पार्टी महासचिव थे। पार्टी में एसआरवाई के नाम से मशहूर सीताराम पार्टी के पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत के बाद के सबसे तेजतर्रार महासचिव साबित हुए। उनमें लोगों के बीच पैठ बनाने और पार्टी के बाहर भी राजनीतिक रिश्ते स्थापित करने में महारत हासिल थी।

सीताराम येचुरी एक अद्भुत वक्ता थे और पार्टी में उन्हें बेहद मृदुभाषी नेता के तौर पर पसंद किया जाता था क्योंकि उनका मिजाज आपसी संबंधों को गहराई देने और मजाकिया अंदाज में बात करने वाला था। जब भी कभी कोई राजनीतिक मतभेद उभरता था तो सीताराम येचुरी को ही संकट मोचक के तौर पर सामने रखा जाता था।

सीताराम येचुरी का लालन-पालन हैदराबाद में हुआ जहां उन्होंने 1969 तक दसवीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद 1970 में वे दिल्ली आ गए और वहां प्रेसिडेंट्स एस्टेट स्कूल में दाखिला लिया। उन्होंने हायर सेकेंडरी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक हासिल की थी। स्कूल के बाद येचुरी ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की और फिर जेएनयू से मास्टर्स डिग्री हासिल की। सीताराम येचुरी जेएनयू छात्र संघ के लगातार तीन बार अध्यक्ष रहे।

2021 में सीताराम येचुरी के बड़े बेटे आशीष येचुरी का मात्र 35 वर्ष की उम्र में कोविड से निधन हो गया था। येचुरी के परिवार में अब पत्नी सीमा चिश्ती और दो बच्चे हैं।

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