सिब्बल बोले- 12 करोड़ हुए बेरोजगार, 28 लाख लोगों को राहत देने का दावा कर रही मोदी सरकार, बाकी को क्या मिला?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने पीएम मोदी पर कोरोना लॉकडाउन को लेकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि मैं पीएम मोदी से पूछना चाहता हूं, ‘क्या आप हमें बता सकते हैं कि आपने अपने पीएम केयर्स फंड से मजदूरों को कितना पैसा दिया?’
देश में कोरोना महामारी के बीच केंद्र की मोदी सरकार द्वारा गरीबों, बेरोजगारों और मजदूरों को पहुंचाए जा रहे दावे पर कांग्रेस पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रेस से बात करते हुए कहा कि सरकार यह दावा कर रही है कि 28 लाख प्रवासियों को राहत दी गई है। उन्होंने कहा कि जहां 12 करोड़ लोगों की इस कोरोना काल में नौकरियां चली गईं, सरकार कह रही है उसने 28 लाख लोगों को राहत दी है।
‘सरकार के पास प्रवासी मजूदरों का डाटा नहीं’
कपिल सिब्बल ने कहा कि देश में प्रवासी मजदूर कितने है इस संबंध में सरकार के पास कोई डेटा नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास सिर्फ 2011 सेंसस का डेटा है, उसके मुताबिक, देश में 6 करोड़ प्रवासी हैं। उन्होंने कहा कि जाहिर 2011 से 2020 के बीच यह संख्या बढ़ी होगी, लेकिन कितनी बढ़ी यह डेटा सरकार के पास नहीं है। सिब्बल ने केंद्र सवाल पूछा कि अगर केंद्र के पास जब डेटा है ही नहीं तो वह राहत कैसे पहुंचा रही है।
28 लाख लोगों को राहत देने का दावा कर रही सरकार, बाकी का क्या हुआ?
कांग्रेस नेता ने कहा, “इस समय देश में बेरोजगारी 27.1 प्रतिशत है। यह मार्च, 2020 में 8.7 प्रतिशत थी। 12 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गई हैं। इनमें 9 करोड़ छोटे व्यापारी और श्रमिक हैं। 1.78 करोड़ नौकरी पेशा लोग हैं, 1.8 करोड़ लोग सेल्फ एम्प्लॉयट हैं। और सरकार कह रही है कि उसने 28 लाख लोगों को राहत पहुंचाने का काम किया है, ऐसे में सवाल यह है कि बाकी के लोगों का क्या हुआ?”
पीएम केयर्स फण्ड से प्रवासी मजदूरों को कितनी सहायता दी गई?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने पैकेज को जीडीपी का 10% बताया, जबकि ये 1% से भी कम है। दरअसल प्रधानमंत्री का नजरिया हवाई है और सच जमीन पर है। इस दौरान उन्होंने पूछा, “प्रधानमंत्री जी बताएं कि पीएम केयर्स फण्ड से प्रवासी मजदूरों को कितनी सहायता दी गई? इस दौरान कई लोगों की मौत हुई है।”
मई 14 तक 73 लोगों की भुखमरी से जान चली गई
कपिल सिब्बल ने कहा, “मोदी सरकार यह दावा कर रही है कि उसने देश में भुखमरी को कम किया है। गरीबों की थाली तक खाना पहुंचा है। लेकिन हकीकत यह है कि मई 14 तक 73 लोगों की भुखमरी से जान चली गई। दुनिया के 117 देशों में भारत भुखमरी के मामले 102 नंबर पर है। वित्त मंत्री के ऐलान के बाद भी करीब 10.8 करोड़ लोग ऐसे हैं जो पीडीएस सिस्टम से बाहर हैं। देश में 85 फीसदी ऐसे लोग हैं जो 10 हजार रुपये से कम कमाते हैं और 50 फीसदी लोग ऐसे हैं जो 5 हजार से भी कम कमाते हैं।”
घमंड के साथ कभी सरकारें नहीं चलती
उन्होंने कहा, “सरकार कहती है कि राज्यों के उच्च न्यायालय एक समानांतर सरकार चलाते हैं, तो मैं समझता हूं कि ये परिभाषा भी घमंड का प्रतीक है और घमंड के साथ कभी सरकारें नहीं चलती। हाल ही में, गुजरात में सिविल अस्पताल के सम्बंध में उच्च न्यायालय की एक बेंच ने निर्णय दिया और अब वहां नया बेंच बना दिया गया है। जस्टिस कुरैशी को मध्य प्रदेश भेजना था, लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी और आज वो त्रिपुरा के चीफ जस्टिस हैं।”
इस महामारी ने बीजेपी सरकार की लाचारी दिखा दी
उन्होंने आगे कहा कि इस महामारी ने बीजेपी सरकार की लाचारी दिखा दी। 24 मार्च से पहले सरकार भाईचारे पर जो दरार ला रही थी, हिंदुस्तान ने वही भाईचारा 24 मार्च के बाद देश को दिखाया। एक-दूसरे की मदद की। मजदूरों की सहायता की। लोगों ने सरकार को आइना दिखा दिया। उन्होंने आगे कहा कि ये गरीबों, महिलाओं, युवाओं के विकास की बात करते हैं, मगर सच ये है कि लोग गरीबी के दंश में जान गंवा रहे हैं। अमीर ज्यादा अमीर हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी कुछ भी कहें, इस देश की जनता एक भारत चाहती है। हम एक भारत चाहते हैं, हम अनेक भारत नहीं चाहते।
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