कोरोना पर शिवसेना ने मोदी सरकार को दिखाया आईना, कहा- काफी पहले बंद करनी चाहिए थी रेल सेवा

कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए मोदी सरकार के देर से कदम उठाने पर शिवसेना ने सवाल उठाया है। पार्टी ने पूछा है कि अपने फैसलों से चौंकाने वाले प्रधानमंत्री ने जब नोटबंदी के वक्त लोगों को समय नहीं दिया था तो इस वैश्विक महामारी में इतना समय क्यों लिया?

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के बीच शिवसेना ने इसको लेकर देर से एहतेयाती कदम उठाने पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है। शिवसेना ने कोरोना के रोकथाम के लिए कठोर फैसले लेने में देरी पर सवाल उठाते हुए कहा कि नोटबंदी पर अचानक फैसला लेने वाले पीएम मोदी ने रेल सेवा पर रोक लगाने के संबंध में भी ऐसा ही रुख क्यों नहीं अपनाया?

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए देश में रेल सेवाओं पर बहुत पहले ही रोक लगा दी जानी चाहिए थी। पार्टी ने लिखा है कि मुंबई की लोकल ट्रेनों समेत पूरे देश में रेल सेवाओं पर अगर पहले ही रोक लगा दी गई होती तो कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में आज इतनी बढ़ोतरी नहीं होती।

शिवसेना ने आशंका जताई है कि कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में भारत की हालत भी इटली और जर्मनी जैसी ही हो सकती है, जिन्होंने इस वैश्विक महामारी के खतरे को गंभीरता से नहीं लिया था। और जिसके चलते अब वहां इस वायरस से हजारों लोगों की मौत हो गई। शिवसेना ने कहा, “हम इटली और जर्मनी की गलतियां दोहरा रहे हैं। भीड़ एक बड़ा खतरा है, क्योंकि संक्रमण आसानी से फैलता है। इसके लिए रेल सेवाओं पर बहुत पहले ही रोक लगा दी गई होती तो संक्रमित मरीजों की संख्या इतनी नहीं बढ़ती।’’


महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कहा कि हालात की गंभीरता को कम करके आंकने की गलती, सिर्फ आमलोग ही नहीं कर रहे, बल्कि यह प्रशासनिक स्तर पर भी देखने को मिल रहा है। शिवसेना ने सवाल किया कि ‘‘अपने फैसलों से लोगों को ‘चौंकाने’ के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के वक्त लोगों को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय दिया था तो इस वैश्विक महामारी पर फैसले में इतना समय क्यों लिया गया?’’ संपादकीय में दावा किया गया मुंबई में उपनगरीय ट्रेनों को प्राथमिकता से रोका जाना चाहिए था, लेकिन भारतीय रेलवे के अधिकारी इसके खिलाफ थे।

संपादकीय में कहा गया कि हमें स्थिति की गंभीरता को समझना चाहिए। पिछले कुछ दिनों में ही संक्रमित लोगों की संख्या 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। पार्टी ने इस महामारी से लड़ने के लिए सुविधाओं पर भी सरकार को आईना दिखाते हुए कहा कि “हमारी जनसंख्या 130 करोड़ है, जिसकी वजह से प्रत्येक 50,000 लोगों पर अस्पताल का केवल एक बेड है।’’ पार्टी ने इस महामारी से लड़ने के लिए सरकारी की तैयारियों पर भी सवाल उठाए।

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