शिवराज सरकार के व्यापमं घोटाले में ईडी ने दायर की पहली चार्जशीट, कई लोगों पर लगे गंभीर आरोप
व्यापमं घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को ईडी कोर्ट में पहली चार्जशीट पेश कर दी। इसमें पीएमटी 2012 और 2013 के साथ ही प्री- पीजी मेडिकल 2012 में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट भी संलग्न है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले के मामले में कथित सरगना डॉक्टर जगदीश सागर और इस परीक्षा बोर्ड के दो अधिकारियों के साथ कई के खिलाफ धनशोधन रोकथाम कानून के तहत आरोपपत्र दायर किया। ईडी की जांच में व्यापमं घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा हुआ है।
डॉक्टर जगदीश सागर के अलावा, श्री अरविंद आयुर्विज्ञान संस्थान के पूर्व चेयरमैन डॉक्टर विनोद भंडारी, व्यापमं अधिकारी डॉक्टर पंकज त्रिवेदी और नितिन मोहिंद्रा को अभियोजन पक्ष की 2,505 पेज की शिकायत में आरोपी बनाया गया है। यह शिकायत यहां विशेष पीएमएलए अदालत में दायर की गई है। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस मामले में ईडी का यह पहला आरोप पत्र है और आने वाले दिनों में पूरक आरोपपत्र दायर हो सकता है क्योंकि मामले की जांच अभी जारी है।
जांच एजेंसी ने बताया कि जांच में खुलासा हुआ है कि डॉक्टर सागर, भंडारी, त्रिवेदी, मोहिंद्रा एक-दूसरे के साथ मिलकर व्यापमं पीएमटी (प्री मेडिकल टेस्ट) और प्री-प्रीजी परीक्षाओं में उम्मीदवारों का दाखिला पैसा लेकर कराते थे। एजेंसी ने कहा है, कि छात्रों से हासिल किया गया धन शोधन अपराध में आता है।
ईडी ने यह भी बताया कि डॉ सागर को 5 करोड़ रुपए से ज्यादा घोटाले की राशि मिले है। इससे उसने कार, पत्नी के नाम पर जमीन आदि खरीदी। घोटाले में शक न हो, इसलिए उसने यह सब लोन पर खरीदा और लोन की राशि कैश में चुकाई। डॉ भंडारी ने भी घोटाले से कमाए 8.93 करोड़ रुपए से जमीन खरीदी। इसमें भी कई जगह लोन राशि लेना बताया, लेकिन जांच में वे कोई भी इसका आय स्रोत नहीं बता सके। डॉ भंडारी के खाते में कई बार एक ही दिन में लाखों रुपए आए हैं। अधिक आय पर भंडारी ने कहा कि वह हर दिन मरीज देखने से कमाते थे, लेकिन जांच में पाया गया कि मरीज देखने पर भी एक दिन में अधिकतम 25 से 30 हजार ही कमा सकते थे।
यह मामला अधिकारियों और नेताओं की कथित सांठगांठ से पेशेवर पाठ्यक्रमों और राज्य सेवाओं में अभ्यर्थियों और छात्रों के प्रवेश से जुड़ा है। एजेंसी ने राज्य के विशेष कार्य बल की कई प्राथमिकी पर संज्ञान लेने के बाद अपनी प्राथमिकी में राज्य के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा और 27 अन्य को नामजद किया था। उसने इस मामले में अब तक 13.95 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। सीबीआई इस मामले में जांच कर रही है।
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