शिवराज सरकार में इन्वेस्टर्स समिट पर खूब बहे पैसे लेकिन नहीं हुआ कोई काम, निवेश लाकर बदलेंगे एमपी की तस्वीर: कमलनाथ
शिवराज सरकार के कार्यकाल में इंवेस्टर्स समिट खूब हुए और लगभग हर समिट में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे। मगर जमीनी स्तर पर कुछ नजर नहीं आया। कई इलाकों में किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीनें ले ली गईं, मगर अबतक कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्य की बेरोजगारी की समस्या से निपटने के लिए रोजगार मूलक निवेश नीति पर काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने उद्योगपतियों से अपने पुराने मधुर रिश्तों का इस्तेमाल करने और राज्य के हर जिले की जरूरत के मुताबिक निवेश लाने की योजना बनाई है।
कमलनाथ को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान संभाले पांच माह से अधिक का समय हो चुका है और उन्हें अभी सिर्फ 75 दिन काम करने का मौका मिला है। उसके बाद से लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू है। मध्य प्रदेश को वह कैसा राज्य बनाना चाहते हैं, राज्य को लेकर उनकी क्या कल्पना है?
राज्य में रोजगार एक बड़ी समस्या है और इस समस्या से निपटने के लिए कमलनाथ के पास क्या योजना है? इन सभी मुद्दों पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “राज्य में आज सबसे बड़ी जरूरत है कि नौजवानों का भविष्य सुनहरा और सुरक्षित हो, रोजगार के नए अवसर पैदा हों, व्यवसाय के अवसर पैदा हों। जबतक निवेश नहीं आता तब तक यह नहीं हो सकता। प्रदेश को लेकर निवेशकों के बीच एक विश्वास का वातावरण बनाना पड़ेगा, क्योंकि निवेश विश्वास से आता है।”
उन्होंने कहा, “कई निवेशकों के साथ बैठकें हुई हैं। उन्होंने सुझाव दिए हैं, अब राज्य में नई निवेश नीति बनेगी, जो क्षेत्रवार (सेक्टर वाइस), जिलावार होगी, क्योंकि हर जिले की स्थिति अलग है। आने वाले समय में ये सब किया जाएगा।”
आखिर वह प्रदेश को कैसा स्वरूप देना चाहते हैं? इस सवाल मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि, "हमारी चाहत और कोशिश है कि रोजगार के अवसर बनते रहें, राज्य में निवेश आए। हमारे सामाजिक क्षेत्र में जो योजनाएं हैं, सही नहीं चल रही हैं, उनमें सुधार लाया जाए।”
पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में राज्य में इंवेस्टर्स समिट खूब हुए और लगभग हर समिट में एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए थे। मगर जमीनी स्तर पर कुछ नजर नहीं आया। कई इलाकों में किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीनें ले ली गईं, मगर अबतक कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ। इस पर कमलनाथ ने चिंता जताई, “यह बात सच है कि उद्योगों ने जमीन तो ले ली, मगर उद्योग नहीं लगे, क्योंकि विश्वास नहीं था। बगैर विश्वास के निवेश नहीं आता। निवेश के लिए जरूरी है कि विश्वास का वातावरण बने। राज्य भ्रष्टाचार मुक्त हो, निवेशक को इस बात का अहसास हो कि यहां भ्रष्टाचार नहीं है, वे फंसेंगे नहीं। फिर वे निवेश करने में नहीं हिचकेंगे।”
राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान छिंदवाड़ा मॉडल की खूब चर्चा हुई थी। कमलनाथ यहां से नौ बार सांसद रह चुके हैं। कभी पिछड़ा माना जाने वाला जिला अब अगड़े और सुविधा संपन्न जिलों में गिना जाने लगा है। छिंदवाड़ा मॉडल के बारे में कमलनाथ ने कहा, “छिंदवाड़ा में जो विकास हुआ है, उसे सबने देखा है। मेरा प्रयास रहेगा कि छिंदवाड़ा को लेकर जो नजरिया और दृष्टिकोण था, ठीक उसी दृष्टिकोण के साथ हर जिले में कुछ न कुछ शुरू किया जाए। साथ ही यह प्रयास रहेगा कि छिंदवाड़ा का मॉडल पूरे प्रदेश में दिखे। इसकी शुरुआत करनी है।”
राज्य में पानी की एक बड़ी समस्या है। इस पर कमलनाथ ने कहा, “यह बात सही है कि राज्य में पानी की भयंकर समस्या है। सिंचाई, पेयजल दोनों की समस्या है। इसके लिए आधुनिक तकनीक के जरिए लिफ्ट की बहुत सारी तकनीकें आई हैं। सिर्फ सिंचाई के लिए ही नहीं, पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लिफ्ट किया जाएगा। इस प्रकार की योजनाएं बना रहे हैं, ताकि पानी का सही प्रबंधन हो सके। दरअसल पानी की कमी नहीं है, बल्कि प्रबंधन की कमी है।
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