सामना के जरिए शिवसेना का बीजेपी पर हमला, अलकायदा से की 'ऑपरेशन लोटस' की तुलना, पूछा- इतना डर क्यों है?

असल में केंद्र सरकार और उनके प्रमुखों को 2024 को लेकर डर लग रहा है। इतना बड़ा बहुमत होने के बावजूद इन लोगों को डर क्यों लगता है? इसका एक ही उत्तर है उनका बहुमत पवित्र नहीं है। वह चुराया गया है।

फोटो: Getty Images
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नवजीवन डेस्क

शिवसेना ने सामना के जरिए बीजेपी पर हमला बोला है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए बीजेपी की कड़ी आलोचना की है। शिवसेना ने 'ऑपरेशन लोटस' की तुलना आतंकवादी संगठन अलकायदा से की है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि सरकारें चुनकर लाने की बजाय विरोधियों की सरकारों को गिराना, पार्टी तोड़ना ऐसा जो चल रहा है, इसकी वजह से विष्णु का पसंदीदा फूल ‘कमल’ बदनाम हो गया है। ‘ऑपरेशन लोटस’ अर्थात ‘कमल’ अलकायदा की तरह दहशतवादी शब्द बन गया है। ‘दिल्ली की सरकार को गिराने के लिए शुरू किया गया ऑपरेशन कमल ‘फेल’ हो गया है। बीजेपी की पोल खुल गई है।’ ऐसी घोषणा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने की है।

बिहार में भी ‘ऑपरेशन कमल’ नहीं चला और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसी चंद्रशेखर राव ने अमित शाह को खुली चुनौती दी कि ‘ईडी, सीबीआई आदि लगाकर मेरी सरकार गिराकर दिखाओ।’ महाराष्ट्र में ईडी के डर से शिंदे गुट घुटनों के बल बैठ गया, ऐसे अन्य राज्यों में कोई भी झुकने को तैयार नहीं है। सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम दिल्ली राज्य में घटित हुआ। ईडी, सीबीआई का इस्तेमाल करके केजरीवाल की सरकार को गिराने का प्रयास चल रहा है। दिल्ली सरकार की शराब नीति, उनकी आबकारी नीति, उनके द्वारा मद्य विक्रेताओं को दिए गए ठेके, यह बीजेपी के दृष्टिकोण से आलोचना का विषय होगा, परंतु यह निर्णय व्यक्तिगत नहीं था, बल्कि पूरी सरकार का था और इसमें दिल्ली के नायब राज्यपाल का भी समावेश होता है, लेकिन कैबिनेट के निर्णय का ठीकरा उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर फोड़कर उनके खिलाफ सीबीआई ने छापेमारी की। उन्हें इस प्रकरण में एक नंबर का आरोपी बनाया और यह प्रकरण अब ईडी के पास मतलब बीजेपी की विशेष शाखा के सुपुर्द कर दिया गया है।


मनीष सिसोदिया पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। सिसोदिया कोई भागनेवाले गृहस्थ नहीं हैं। लेकिन किसी अपराधी की तरह उनके खिलाफ ‘लुकआउट’ नोटिस जारी करके जनता द्वारा चुनी गई सरकार की तौहीन की गई। इसलिए ही देश की स्थिति संभ्रम वाली है। ऐसा श्री पवार कहते हैं तो यह सत्य है। यह सब केजरीवाल की सरकार को गिराने के लिए किया जा रहा है। अब श्री मनीष सिसोदिया ने बीजेपी की ‘वॉशिंग मशीन’ पर बम गिराया है। ‘बीजेपी में प्रवेश करो, ‘आप’ के विधायकों को तोड़कर लाओ और मुख्यमंत्री बनो। ऐसा करने पर आपके खिलाफ ईडी, सीबीआई के तमाम प्रकरण बंद कर दिए जाएंगे।’ ऐसा ऑफर बीजेपी द्वारा दिए जाने का दावा सिसोदिया ने किया। ‘आप’ के विधायकों को तोड़ने के लिए बीस-बीस करोड़ रुपयों का ‘ऑफर’ दिए जाने का आरोप तो खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही लगाया है। इसलिए ‘ऑपरेशन कमल’ लोकतंत्र और आजादी के लिए कितना घातक है यह घिनौने ढंग से सामने आया है।

महाराष्ट्र में इसी तरह से ऑपरेशन चलाया गया, परंतु बड़ा राज्य होने के कारण और शिवसेना तोड़ना यही मुख्य एजेंडा होने की वजह से ईडी की धौंस, अतिरिक्त पचास खोखे इस तरह की रसद दी गई, ऐसा खुलकर कहा जा रहा है। महाराष्ट्र की भेड़ें घबराकर भाग गईं, उस तरह से दिल्ली के विधायक और उनके नेता नहीं भागे। वे बीजेपी और ईडी के खिलाफ दृढ़तापूर्वक खड़े रहे। महाराष्ट्र में शिवसेना नेता संजय राऊत ने बेखौफ होकर ईडी का सामना किया। वे मराठी स्वाभिमान के साथ लड़े, लेकिन झुके नहीं और सच्चे शिवसैनिक की तरह जूझे। इसी तरह की सख्त नीति सिसोदिया ने अपनाई। सिसोदिया छत्रपति शिवराय के मावलों की तरह दहाड़े। स्वाभिमान की तलवार हाथ में लेकर उन्होंने कहा, ‘साजिश करनेवाले भ्रष्ट लोगों के समक्ष बिलकुल भी नहीं झुकेंगे।’

महाराष्ट्र में गृहमंत्री अनिल देशमुख, मंत्री नवाब मलिक, सांसद संजय राऊत की आवाज को दबाने के लिए उन्हें उठाकर जेल में डाला गया। दिल्ली के मोहल्ला क्लिनिक वाले मंत्री सत्येंद्र जैन को पुराने प्रकरण में पकड़ा। आबकारी नीति में सरकारी तिजोरी को नुकसान हुआ इसलिए मनीष सिसोदिया पर कार्रवाई चल रही है। फिर इन ईडी, सीबीआई वालों से हमारा सवाल है, बीते सात-आठ वर्षों में जिस जल्दबाजी से सार्वजनिक कंपनियां, हवाई अड्डों की बिक्री की गई, उसमें सरकार को क्या नफा-नुकसान हुआ और इस पर इन जांच एजेंसियों ने कौन-सी कार्रवाई की?

बिहार में सत्ता परिवर्तन होते ही राष्ट्रीय जनता दल पर सीबीआई, ईडी के छापे पड़ना, यह महज संयोग कैसे हो सकता है? परंतु तेजस्वी यादव ने सीधे कहा, ‘महाराष्ट्र में जो हुआ वह बिहार में नहीं होगा, बिहार डरेगा नहीं। जो डरपोक हैं उन्हें ईडी, सीबीआई का डर दिखाओ।’ असल में केंद्र सरकार और उनके प्रमुखों को 2024 को लेकर डर लग रहा है। इतना बड़ा बहुमत होने के बावजूद इन लोगों को डर क्यों लगता है? इसका एक ही उत्तर है उनका बहुमत पवित्र नहीं है। वह चुराया गया है। इसलिए स्वतंत्रता और लोकतंत्र खतरे में है, ऐसी अवस्था में जो समर्पण करेंगे, वहीं देश के वास्तविक शत्रु होंगे! छापेमारी का सत्र और बदले की छापेमारी ही उनका शस्त्र है। उसी शस्त्र से उनका ‘ऑपरेशन कमल’ हुआ, परंतु कमल के लाभार्थियों पर सरकारी छापे का वार नहीं होता है। देश की न्याय व्यवस्था में हमारा विश्वास है। परंतु न्याय के निर्णय में विलंब न हो इतनी ही जनता की अपेक्षा है अर्थात आज शासकों का कामकाज इसी तरह से चल रहा है कि देश में एक संभ्रमित युग आ गया है। इस संभ्रमित युग में अब कौन अवतार लेगा? अन्यथा जनता को ही नरसिंह का अवतार धारण करना होगा!

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