2019 का लोकसभा चुनाव बीजेपी से अलग होकर लड़ेगी शिवसेना, उद्धव ठाकरे का ऐलान
केंद्र की सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की करीब दो दशक से अहम सहयोगी रही शिवसेना ने बाल ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर बीजेपी से अपने रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया है।
केंद्र की सत्ता पर काबिज राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की करीब दो दशक से अहम सहयोगी रही शिवसेना ने बाल ठाकरे के जन्मदिन के मौके पर बीजेपी से अपने रिश्ते खत्म करने का ऐलान किया है। शिवसेना ने कहा कि 2019 के आम चुनाव और भविष्य में होने वाला विधानसभा चुनाव वह अकेले लड़ेगी। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि कार्यकारिणी की अहम बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी ने गठबंधन धर्म निभाने के लिए हमेशा ही समझौता किया है, लेकिन शिवसेना अब गरिमा के साथ चलेगी।
इस बैठक में आदित्य ठाकरे को शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य चुना गया।
इस मौके पर शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी हमेशा कहते है कि वे पंत प्रधान हैं, लेकिन इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को अहमदाबाद ले गए। वह उन्हें श्रीनगर के लाल चौक क्यों नहीं ले गए? उन्होंने श्रीनगर में रोड शो क्यों नहीं किया? क्यों उन्होंने लाल चौक पर तिरंगा नहीं फहराया?
उन्होंने आगे कहा, “हर राज्य में शिवसेना हिंदुत्व और उसकी रक्षा के लिए चुनाव लड़ेगी।”
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने नितिन गडकरी पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुबंई में नेशनल एग्जीक्यूटिव मीट के दौरान केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी नेवी का अपमान किया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का नहीं, आर्म्ड फोर्स जवानों का सीना 56 इंच का है। आप कैसे उनका अपमान कर सकते हैं?
शिवसेना के गठबंधन तोड़ने के ऐलान के बाद सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अभी इंतजार करें, शिवसेना बहुत कुछ कहती है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मौजूदा सरकार अपना कार्यकाल जरूर पूरा करेगी।
शिवसेना राज्य और केंद्र में बीजेपी के साथ सरकार चला रही है, पर उनके संबंधों में लंबे समय से तनाव चल रहा है। उद्धव ठाकरे ने कुछ दिन पहले यह धमकी भी दी थी कि अगर जरूरत हुई तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी। शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए हाल के दिनों में नरेंद्र मोदी सरकार की कई मुद्दों पर आलोचना भी की है। शिवसेना लगातार पीएम मोदी द्वारा लागू नोटबंदी का विरोध कर रही थी। इसके अलावा सीमा पार गोलीबारी और बुलेट ट्रेन परियोजना पर भी केंद्र सरकार की उसने तीखी आलोचना की थी।
2014 में हुआ पिछला विधानसभा चुनाव भी सीटों के बंटवारे पर समझौता नहीं होने के कारण बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग ही लड़ा था। चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसने शिवसेना के साथ चुनाव बाद गठबंधन कर सरकार बनाई थी।
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