शिवसेना का ‘सामना’ में केंद्र पर निशाना, कहा- विपक्षी सरकारें अस्थिर करने में मोदी सरकार मग्न, उसे जनता की फिक्र नहीं
महंगाई से देश की आम जनता का जीना-मरना मुश्किल हो गया है। इन दुश्वारियों से उन्हें जिन्हें बाहर निकालना है, वे महंगाई कम करने की बजाय विरोधियों की सरकार को अस्थिर करने में 2024 में अपनी पार्टी को ‘स्थिर’ करने और देश को वैश्विक लीडर आदि कैसे बनाया इस ‘आत्ममुग्धता’ में मशगूल हैं।
देश की महंगाई चरम पर है। महंगाई को लेकर शिवसेना ने सामना के जरिए मोदी सरकार पर हमला बोला है। शिवसेना ने कहा कि केंद्र के शासक फिलहाल विभिन्न राज्यों में विरोधियों की सरकार को अस्थिर करने में मग्न हैं इसलिए दिन-प्रतिदिन बढ़ रही महंगाई के कारण चिंतामग्न हुई आम जनता की फिक्र वगैरह करने से उनका कोई संबंध नहीं रह गया है।
देश में महंगाई पिछले 8 वर्षों के उच्चांक पर पहुंच गई है, परंतु उस उच्चांक में बढ़ोतरी करने का कार्य वर्तमान सत्ताधारी कर रहे हैं। रसोई गैस का सिलिंडर बुधवार को 50 रुपए महंगा हो गया इसलिए घरेलू गैस सिलिंडर की कीमतें मुंबई में 1,052 रुपए के पार पहुंच गई हैं। बीते सालभर में घरेलू गैस सिलिंडर की कीमतें 834.50 रुपए से 1,052 रुपए तक पहुंच गई हैं। अर्थात एक वर्ष में 298.50 रुपए की वृद्धि का बोझ प्रत्येक परिवार के बजट पर पड़ा है। उस पर सिर्फ गैस सिलिंडर महंगा हुआ ऐसा नहीं है, बल्कि नए गैस कनेक्शन के लिए भी प्रति सिलिंडर 750 रुपए की वृद्धि की गई है। जो रेग्युलेटर पहले ड़ेढ सौ रुपए में मिलता था वह अब ढाई सौ रुपए में मिलेगा और पांच किलो सिलिंडर के लिए निर्धारित सिक्योरिटी डिपॉजिट को 800 रुपए की बजाय 1,050 रुपए कर दिया गया है।
थोड़े में कहें तो आप पुराने गैस ग्राहक हों अथवा नए, आपको गैस दर वृद्धि की मार सहन करनी ही होगी। पहले ही हर तरह की महंगाई से आम परिवारों का दैनिक बजट डांवांडोल हो गया है। उस पर गैस सिलिंडर बीते तीन महीनों में दूसरी बार महंगा करने का ‘कीर्तिमान’ इस सरकार ने बनाया है। कुछ महीने पहले खाद्य तेल, मसालों की कीमतें भी उच्चांक पर पहुंची थीं। अब वो कीमतें कुछ प्रमाण में कम हुई हैं, फिर भी उन उपयोग किए जानेवाले उत्पादों की कीमत उत्पादक कंपनियों ने ‘जस की तस’ रखी है। इसलिए खाद्य तेल, पाम तेल की कीमतें कम होने के बावजूद इसका कोई लाभ आम लोगों को नहीं मिला है।
केंद्र सरकार केवल खाद्य तेल, कच्चा तेल, पाम तेल सस्ता करने का ढोल बजाने में मग्न है। खाद्य तेल के अंतर्गत उत्पादन वृद्धि की ओर उदासीनता बरते जाने के कारण ही आज भी हमें आयात पर निर्भर रहना पड़ रहा है। इसी का परिणाम है बीच में खाद्य तेलों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि देखने को मिली थी। इसमें वैश्विक एजेंसी ‘नोमूरा’ ने आशंका जताई थी कि आनेवाले दिनों में हिंदुस्थान में अनाज महंगाई की दर 9 फीसदी के पार जा सकती है। मतलब महंगाई का शिकंजा आनेवाले दिनों में और सख्त हो सकता है।
उस पर जीएसटी का जो भूत दर वृद्धि के रूप में आम जनता की गर्दन पर जा बैठा है उसके भी उतरने की संभावना नहीं है। जीएसटी के कारण केंद्र सरकार की तिजोरी में बीते कुछ महीनों में अरबों-खरबों आए हैं, परंतु आम जनता की जेब में बचा-खुचा भी जीएसटी का ये भूत छीन ले रहा है, उसका क्या? महाराष्ट्र में बेईमानी से स्थापित की गई सरकार के विश्वासमत प्रस्ताव के समय नवसत्ताधारियों ने ‘पेट्रोल-डीजल पर से वैट कम करके राज्य की जनता को राहत देंगे’, ऐसी शेखी बघारी थी। वह राहत छोड़ो, अब तो रसोई गैस का सिलिंडर फिर से महंगा करके महंगाई का जो प्रहार आम जनता पर आपकी उस महाशक्ति ने किया है, उस पर आपका क्या कहना है?
बीते 8 वर्षों में उच्चांक पर पहुंची महंगाई से देश की आम जनता का जीना-मरना मुश्किल हो गया है। इन दुश्वारियों से उन्हें जिन्हें बाहर निकालना है, वे महंगाई कम करने की बजाय विरोधियों की सरकार को अस्थिर करने में 2024 में अपनी पार्टी को ‘स्थिर’ करने और देश को वैश्विक लीडर आदि कैसे बनाया इस ‘आत्ममुग्धता’ में मशगूल हैं। ‘आत्ममुग्ध’ सरकार और ‘चिंतामग्न’ जनता ऐसी हमारे देश की वर्तमान अवस्था है! यह कब और कैसे बदलेगी, यह सवाल ही है।
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