जीएसटी को क्रांतिकारी आर्थिक योजना बताने वाले मोदी सरकार ने राज्यों के मुंह से छीना निवाला: शिवसेना
शिवसेना ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जीएसटी एक क्रांतिकारी आर्थिक योजना, ऐसा ढिंढोरा प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय पीटा था। उत्पादन पर निर्भर रहने वाले राज्यों के मुंह का निवाला केंद्र ने छीन लिया।
देश में बिगड़ती अर्थव्यवस्था और जीएसटी को लेकर शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना ने मुखपत्र सामना में कहा कि केंद्र सरकार के मनमाने कामकाज से देश में आर्थिक अराजकता निर्माण हो गई है और इसका खामियाजा राज्यों को भुगतना पड़ा है। जीएसटी लागू करते समय हम जिस खतरे की घंटी लगातार बजा रहे थे, वे तमाम खतरे अब सामने आकर खड़े हो गए हैं और केंद्र सरकार गोल-मोल उत्तर देकर पीछा छुड़ा रही है।
सामना में शिवसेना ने आगे लिखा, “ जीएसटी के कारण राज्यों को राजस्व वसूली में होनेवाले घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी, ऐसा वचन दिया गया था। लेकिन केंद्र राज्यों को 50 हजार करोड़ से ज्यादा की नुकसान-भरपाई करने में असमर्थता जता रही है। ‘आज देंगे, कल देंगे’ ऐसा उनका चल रहा है। बीते 4 महीनों से केंद्र ने राज्यों को जीएसटी की रकम वापस नहीं लौटाई है। ये पैसे राज्यों के अधिकार के हैं और इसके कारण राज्यों का आर्थिक गणित बिगड़ सकता है। महाराष्ट्र के हिस्से के 15,558 करोड़ रुपए केंद्र ने नहीं दिए। तेलंगाना के 4531 पंजाब के 2100, केरल के 1600, पश्चिम बंगाल के 1500, दिल्ली के 2355 करोड़ रुपए केंद्र सरकार नहीं दे सकी है। कई राज्यों की वेतन सूची इसके कारण बिगड़ गई है।”
शिवसेना ने कहा कि जीएसटी एक क्रांतिकारी आर्थिक योजना, ऐसा ढिंढोरा प्रधानमंत्री मोदी ने उस समय पीटा था। उत्पादन पर निर्भर रहने वाले राज्यों के मुंह का निवाला केंद्र ने छीन लिया। महानगरपालिका की ‘चुंगी’ योजना बंद कर दी गई। इन तमाम नुकसानों की भरपाई कर देंगे, ऐसा उस समय कहा गया था। लेकिन आज सिर्फ सब्जबाग ही दिखाया जा रहा है।
शिवसेना ने कहा कि केंद्र ने कई राज्यों और संस्थाओं के पैसे डुबा दिए। प्रधानमंत्री सतत विदेशी दौरों पर जाते हैं और इसके लिए एयर इंडिया का इस्तेमाल होता है. ये सब मुफ्त नहीं होता है, बल्कि केंद्र की तिजोरी से इस खर्च की भरपाई करनी पड़ती है, परंतु प्रधानमंत्री के विदेशी दौरों पर खर्च हुए करीब 500 करोड़ रुपये एयर इंडिया को अदा करने में आनाकानी की जा रही है। एयर इंडिया पहले ही डूबने के कगार पर है। उस पर यह बोझ! भारत पेट्रोलियम जैसे मुनाफा कमाने वाले सार्वजनिक उपक्रम भी केंद्र बेचने की तैयारी में है।
शिवसेना ने आगे कहा, “ वित्तमंत्री सीतारामन कहती हैं कि केंद्र ने जो तय किया है वही होगा। हम वचन के पक्के हैं।’ वित्तमंत्री के शब्दों का क्या मोल है, इसका अनुभव फिलहाल सभी ले रहे हैं। देश की विकास दर गिर रही है तथा यह दर बढ़ाकर बताई जा रही है। शेयर बाजार में सट्टे की तरह अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है। लेकिन कई राज्यों का भविष्य इससे दांव पर लग गया है। सत्ताधारी पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए तथा बहुमत खरीदने के लिए प्रचंड आर्थिक शक्ति दिखाई देती है। लेकिन राज्यों को उनके अधिकार का पैसा देते समय रोना-धोना और क्रंदन शुरू हो जाना है।”
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Published: 14 Dec 2019, 11:25 AM