शिमला मस्जिद विवादः हिंसक प्रदर्शन के लिए VHP नेताओं और पूर्व पार्षदों पर केस दर्ज, पुलिस समेत 10 लोग हुए थे घायल
शिमला के एसपी संजीव कुमार गांधी ने कहा कि यह शांति भंग करने के लिए पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन था। हिंसा भड़काने वाले लोगों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) एकत्र कर लिए गए हैं, जिसके आधार पर और मामले दर्ज किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के शिमला के संजौली क्षेत्र में एक मस्जिद के विवादित अवैध हिस्से को गिराने की मांग को लेकर हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने के आरोप में विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के नेताओं, पूर्व पार्षदों और पंचायत प्रमुखों सहित 50 लोगों पर मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी।
प्रदर्शनकारियों की 11 सितंबर को सुरक्षाकर्मियों के साथ झड़प हुई थी। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड तोड़ दिए और पत्थरबाजी की, जबकि पुलिस ने उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और लाठियां बरसाईं। इस झड़प में पुलिस और महिलाओं समेत करीब 10 लोग घायल हो गए थे।
शिमला के पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने बताया कि विरोध-प्रदर्शन को भड़काने वाले लोगों के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) एकत्र कर लिए गए हैं, जिसके आधार पर और मामले दर्ज किए जाएंगे। अधिकारी ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज, वीडियो और तस्वीर में साक्ष्य मौजूद हैं, जिनमें लोगों के हाथों में पत्थर देखे जा सकते हैं और ये पत्थर ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों पर फेंके गए।
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने अब तक जिन 50 लोगों की पहचान कर आठ मामले दर्ज किए हैं, उनमें विहिप के नेता, पंचायत प्रमुख, पूर्व पार्षद और दुकानदारों के अलावा चौपाल और ठियोग इलाके के लोग शामिल हैं। एसपी ने कहा, ‘‘यह शांति भंग करने के लिए पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन था। सोशल मीडिया पर पूरी घटना को भड़काने वालों की पहचान कर ली गई है और उनके कृत्य और आचरण से पता चलता है कि वे अपराध में कैसे शामिल थे।’’
प्रदर्शनकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 196 (1) (धर्म के आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देना), 196 (2) (पूजा स्थल पर अपराध), 189 (गैर कानूनी रूप से जमा होना), 126 (2) (गलत तरीके से रोकना), 61 (2) (आपराधिक साजिश और हमला), 353 (2) (धर्म के बारे में गलत जानकारी फैलाना), 223 (लोक सेवकों के आदेशों की अवहेलना करना) और 132 (लोक सेवक पर हमला करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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