शरजील इमाम की जमानत याचिका पर जल्द हो सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा

लंबित जमानत अर्जी का जिक्र करते हुए दवे ने कहा कि एनआईए अधिनियम की धारा 21(2) कहती है कि इस पर तीन महीने के अंदर निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि मामले में 29 अप्रैल, 2022 से 64 सुनवाई हुई हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

उच्चतम न्यायालय ने आतंकवाद के एक मामले में दिल्ली दंगों के आरोपी शरजील इमाम की जमानत याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय से इस पर जल्द सुनवाई करने को कहा।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत जमानत का अनुरोध किया गया है।

इमाम के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा कि जमानत याचिका 2022 से लंबित है। दवे ने यह भी साफ किया कि वह वर्तमान स्तर पर जमानत पर जोर नहीं दे रहे हैं।

शीर्ष अदालत ने इस बात पर गौर किया कि उच्च न्यायालय 25 नवंबर को मामले में सुनवाई करेगा। पीठ ने कहा, ‘‘यह संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर की गई रिट याचिका है, इसलिए हम इस पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय से अनुरोध करने की स्वतंत्रता होगी कि वह जमानत याचिका पर यथाशीघ्र संभवत: 25 नवंबर को सुनवाई करे, जैसा कि उच्च न्यायालय ने तय किया है। उच्च न्यायालय उक्त अनुरोध पर विचार करेगा।’’


लंबित जमानत अर्जी का जिक्र करते हुए दवे ने कहा कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) अधिनियम की धारा 21(2) कहती है कि इस पर तीन महीने के अंदर निर्णय लेना होगा। उन्होंने कहा कि मामले में 29 अप्रैल, 2022 से 64 सुनवाई हुई हैं।

दवे ने कहा, ‘‘आठ बार हमने समय मांगा, जबकि बाकी समय या तो पीठ मौजूद नहीं थी... मैं किसी को दोष नहीं दे रहा हूं। मेरी याचिका को स्वीकार करें या खारिज करें। अगर अनुमति नहीं मिली तो मैं उच्चतम न्यायालय आऊंगा। मैं केवल सुनवाई चाहता हूं।’’

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करना मौलिक अधिकार है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इमाम के खिलाफ आठ प्राथमिकी दर्ज हैं लेकिन दवे ने साफ किया कि मौजूदा मामला यूएपीए (विधिविरुद्ध क्रियाकलाप रोकथाम अधिनियम) के तहत दर्ज केवल एक प्राथमिकी से संबंधित है।


हालांकि, पीठ ने कहा कि वह जमानत के मुद्दे पर विचार करने की इच्छुक नहीं है।

इमाम और कई अन्य लोगों पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ का ‘मास्टरमाइंड’ होने के आरोप में यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था। दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।

पीटीआई के इनपुट के साथ

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