शाहीन बाग ने खारिज की धरना खत्म करने की देवबंद की अपील, महिलाओं ने कहा- यह धर्म की नहीं, संविधान की लड़ाई है

शाहीन बाग की महिलाओं ने धरना खत्म करने की देवबंद की कथित अपील को दो टूक खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह मजहब की नहीं संविधान बचाने की लड़ाई है और उलेमा इससे दूर रहें।

फोटो : सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में चल रहे धरने को खत्म करने की देवबंद के कुछ उलेमा की अपील पर शाहीन बाग की आंदोलनकारी महिलाओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इन महिलाओं का कहना है कि शाहीन बाग में कोई मजहबी लड़ाई नहीं हो रही है जो उनकी बात मानी जाए।

नागरिकता संशोधन कानून और प्रस्तावित एनआरसी के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में 50 से भी ज्यादा दिनों से महिलाओं का धरना प्रदर्शन जारी है। इस बीच दारुल उलूम देवबंद के कुछ उलेमाओं ने इन महिलाओं से अपना धरना खत्म करने की अपील की है। इस अपील पर शाहीन बाग की महिलाओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे खारिज कर दिया है। आंदोलन से जुड़ी हुई सबाना कुरैशी ने दो टूक कहा, “यह कोई मजहबी लड़ाई नहीं है जो हम उनकी बात मानलें। यह लड़ाई संविधन के बचाने के लिए है और जब तक सीएए और प्रस्तावित एनआरसी वापस नहीं होते, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।”

गौरतलब है कि देवबंद में गुरुवार को जिलाधिकारी के नेतृत्व में एक टीम ने मदरसा दारुल उलूम में व्यवस्थापकों से बातचीत की थी, जिसके बाद देवबंद में जारी महिलाओं का धरना प्रदर्शन खत्म करने की अपील की गई थी। लेकिन वहां की महिलाओँ ने उनकी इस अपील को ठुकरा दिया था। लेकिन शुक्रवार को देवबंद का वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा जिसमें वहां के उलेमा शाहीन बाग की महिलाओं से धरना खत्म करने की अपील कर रहे हैं।


पत्रकार मारया शकील ने अपने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया था जिसमें देवबंद के मौलाना धरना खत्म करने की अपील कर रहे हैं। हालांकि मारया ने बाद में इसमें स्पष्टीकरण दिया कि यह अपील देवबंद में धरना दे रही महिलाओं के लिए थी।

ध्यान रहे कि देवबंद के ईदगाह मैदान में बीते ग्यारह दिनों से जारी महिलाओं के प्रदर्श में गुरुवार को उस वक्त हंगामा हो गया था जब प्रशासन की तरफ से बनाई गई एक कमेटी महिलाओं को समझाने और धरना खत्म करने की अपील करने के लिए उनसे बातचीत करने गई थी। कमेटी के लोगों ने महिलाओं से बातचीत शुरु की ही थी कि पंडाल में धरने पर बैठी सैकड़ों महिलाओं ने जोरदार तरीके से गो बैक और देवबंद के नेता शर्म करो के नारे लगाने शुरु कर दिए थे। महिलाओं ने धरना खत्म करने से साफ इनकार कर दिया था। महिलाओं ने कमेटी के सदस्यों पर चूड़ियों की बरसात कर दी थी।


हालांकि महिलाओं की तरफ से इरम उस्मानी, आमना रूशी, सलमा अहसन और फौज़िया परवीन ने कमेटी में शामिल चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी, पूर्व विधायक मुआविया अली, मौलान मुजम्मिल अली कासमी, बदर काजमी आदि से बातचीत की ही थी कि वहां मौजूद सैकड़ों महिलाएं नारेबाजी करते हुए पंडाल से निकल कर उस जगह पहुंच गईं जहां कमेटी के लोग महिलाओं से बात कर रहे थे। इस माहौल को देखते हुए कमेटी ने ईदगाह मैदान से बाहर जाना ही मुनासिब समझा और बातचीत बीच में ही रह गई।

इससे पहले प्रशासन की एक टीम देवबंद पहुंची। इसमें जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे और एसएसपी दिनेश कुमार की अध्यक्षता में एक एकता कमेटी बनाई गई। कमेटी में शबर के प्रतिष्ठित लोगों को शामिल कर धरने को खत्म कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई। हालांकि महिलाओं को मनाने पहुंची टीम को बैरंग लौटना पड़ा।

शुक्रवार को डीएम आलोक कुमार पांडे और एसएसपी दिनेश कुमार फिर देवबंद पहुंचे और सरकारी गेस्ट हाउस में मदरसे के व्यवस्थापकों के अलावा दारुल उलूम देवबंद के वाइस चांसलर मुफ् अबुलकासिम नोमानी, डिप्टी वाइस चांसलर मौलाना अब्दुल खालिक मदरासी, दारुल उलूम वक्फ के उप सचिव मौलाना शकीब कासमी, पूर्व विधायक मुआविया अली, नगरपालिका चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी, जामिया तिब्बिया कालेज के प्रशासक डॉक्टर अख्तर सईद, जामिया इमाम मोहम्मद अनवर शाह आदि से मुलाकात की।


इस दौरान जिलाधिकारी लोक पांडे और एसएसपी दिनेश कुमार पी ने कहा कि सरकार ने एनआरसी पर संसद में लिखित में जवाब दे दिया है जिसमें कहा गया है कि एनआरसी पर फिलहाल लाने की बात नहीं है। ऐसे में देवबंद में महिलाओं को अपना धरना खत्म कर देना चाहिए। इसके लिए प्रशासन ने देवबंद इलाके के प्रतिष्ठित लोगों से आने आने की अपील की और एकता कमेटी बनाई।

लेकिन प्रशासन की सारी कोशिशों नाकाम रहीं क्योंकि महिलाओँ ने अपना धरना खत्म करने से साफ इनकार कर दिया है।

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